संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की उच्च स्तरीय खुली बहस में भारत ने कहा है कि वह सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित रहा है। भारत ने कहा कि हमने पार देशी (ट्रांसनेशनल) स्तर पर संगठित अपराध और आतंकवाद का अनुभव किया है। भारत ने इन समस्याओं से निपटने के सुझाव भी दिए।
भारत ने कहा, एक संगठित अपराध सिंडिकेट, डी-कंपनी, जो सोने और नकली मुद्राओं की तस्करी किया करती थी, वह रातोंरात ओर आतंकवादी संगठन में बदल गई जिसने मुंबई में साल 1993 में सिलसिलेवार बम धमाके किए थे। इन धमाकों में 250 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
बहस में भारत ने कहा, चौंकाने वाली बात यह है कि मुंबई धमाकों के आरोपी को हमारे एक पड़ोसी देश में संरक्षण प्राप्त होता है। हमारा यह पड़ोसी देश संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और आतंकियों की पनाहगाह होने के साथ-साथ हथियारों की तस्करी और नशीले पदार्थों के व्यापार का केंद्र है।
भारत ने इस बहस में सुझाव देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसे निकायों के साथ समन्वय बढ़ाने की जरूरत है। ये संगठन मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और आतंकी वित्तपोषण को रोकने और मुकाबला करने के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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