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    कोरोना महामारी के दौर में योग की महत्ता

  • June 18, 2021
    योगेश कुमार गोयल
    गत दिनों मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के सहयोग से आयुष मंत्रालय द्वारा 7वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए एक घंटे का पूर्वावलोकन कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया, जिसमें केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तथा केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्री किरेन रिजिजू द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2021 की थीम ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ के महत्व को रेखांकित किया गया। इस दौरान योग को समर्पित एक मोबाइल एप्लीकेशन ‘नमस्ते योग‘ भी लांच किया गया। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कई योग गुरुओं तथा आध्यात्मिक नेताओं ने समूचे विश्व समुदाय से अपील की कि लोग खुद अपनी तथा मानवता की बेहतरी के लिए अपने दैनिक जीवन में योग को अपनाएं। उन्होंने गहरे अध्यात्मिक आयामों से लेकर इसके दैनिक जीवन तथा कोविड संबंधित उपयोगिता तक, योग की विभिन्न अनूठी और व्यापक विशेषताओं पर बल दिया। दरअसल उत्तम स्वास्थ्य तथा रोगों के प्रबंधन और रोकथाम में योग की उपयोगिता भली-भांति स्थापित हो चुकी है। प्रतिरक्षण निर्माण तथा तनाव से राहत की दिशा में योग के लाभ जगजाहिर हैं।
    स्वस्थ शरीर किसी वरदान से कम नहीं है और योगासनों का लाभ तथा महत्व किसी से छिपा नहीं है। कुछ प्रमुख योगाभ्यास फेफड़ों को मजबूत बनाने के अलावा कई शारीरिक व्याधियों से बचाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे ही योगाभ्यासों में भुजंगासन, सर्वांगासन, योग मुद्रासन, शशकासन, मकरासन, विश्रामासन, गोमुखासन, उत्तानपादासन, ताड़ासन, हलासन, सेतुबंधासन, मंडूकासन, उष्ट्रासन, पवनमुक्तासन, नौकासन, शलभासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तानासन, पादंगुष्ठासन इत्यादि प्रमुख हैं। अनुलोम विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, उज्जायी इत्यादि प्राणायाम करने से फेफड़े मजबूत होने संबंधी कई प्रमाण मिल चुके हैं। कपालभाति प्राणायाम से नसें मजबूत होने के अलावा शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है, सांस की बंद नली खुल जाती है और सांस लेने में आसानी होती है। भस्त्रिका प्राणायाम से हृदय स्वस्थ होता है, नाक तथा सीने की समस्या दूर होती है, अस्थमा रोग दूर होता है, अतिरिक्त शारीरिक वजन घटता है तथा तनाव और चिंता दूर होती है। उज्जायी प्राणायाम हृदय संबंधी बीमारियों में फायदेमंद है, इससे दिमाग शांत रहता है। ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है और शरीर में गर्माहट आती है। उद्गीथ प्राणायाम करने से याद्दाश्त तेज होती है, नर्वस सिस्टम ठीक रहता है, तनाव व चिंता दूर होती है और इस प्राणायाम से वजन घटाने में मदद मिलती है।
    भुजंगासन अर्थात् कोबरा पोज सूर्य नमस्कार का हिस्सा है। इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं, किडनी स्वस्थ होती है, रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, लीवर संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है, तनाव, चिंता और डिप्रैशन दूर होता है। उष्ट्रासन से हृदय मजबूत होता है, पाचन शक्ति सुधरती है, मोटापा कम होता है तथा टखनों का दर्द दूर होता है। सर्वांगासन करने से मस्तिष्क में रक्त तथा ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे बाल झड़ने की समस्या दूर होती है, मानसिक तनाव कम होता है, त्वचा की रंगत निखरती है, चेहरे पर कील-मुहांसे नहीं होते, झुर्रियां नहीं पड़ती। इस आसन से थायरॉयड की समस्या ठीक हो जाती है, पेट के सभी आंतरिक अंग सही प्रकार से काम करने लगते हैं। हलासन पाचन तंत्र के अंगों की मसाज कर पाचन सुधारने में मदद करता है। इस आसन से शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, मेटाबॉलिज्म बढ़ने से वजन घटाने में मददगार है, रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाकर कमर दर्द में आराम देता है, तनाव और थकान से राहत देता है, दिमाग को शांति मिलती है, थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं, नपुंसकता, साइनोसाइटिस, सिरदर्द इत्यादि परेशानियों से भी राहत मिलती है।

    त्रिकोणासन को इम्युनिटी बूस्टर योग माना गया है। इससे पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी दूर होती है, जिससे मोटापा कम होता है, शारीरिक संतुलन ठीक होता है, गर्दन, पीठ, कमर तथा पैर के स्नायु मजबूत होते हैं, चिंता, तनाव, कमर तथा पीठ का दर्द दूर होता है, पाचन प्रणाली ठीक होती है और एसिडिटी से छुटकारा मिलता है। ताड़ासन को माउंटेन पोज कहा जाता है। इस योग को करने से लम्बाई बढ़ती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, शरीर में रक्त संचार सही तरीके से होता है, घुटनों, टखनों और भुजाओं में मजबूती आती है, कब्ज की शिकायत दूर होती है, श्वसन प्रणाली मजबूत होने से श्वसन संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है, सियाटिका की समस्या दूर होती है। पादंगुष्ठासन मस्तिष्क को शांत कर तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देता है, किडनी तथा आंतों की कार्यपद्धति बेहतर करता है, रजोनिवृत्ति के लक्षण कम करने में मददगार है, पाचन में सुधार लाता है, जांघों को मजबूत करता है, थकान व चिंता कम करता है, सिरदर्द तथा अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है, दमा, उच्च रक्तचाप, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, साइनस इत्यादि समस्याओं में भी लाभकारी है। धनुरासन का अभ्यास करने से किडनी के संक्रमण से निपटने में काफी मदद मिलती है, पीठ मजबूत होती है तथा पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, गर्दन, सीना और कंधे चौड़े होते हैं, हाथ-पैरों की मांसपेशियां सुडौल बनती हैं, नपुंसकता दूर करने तथा तनाव कम करने में मदद मिलती है। इस आसन को भी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बेहतरीन योगासनों में से एक माना गया है।
    बहरहाल, सभी योग गुरुओं का एक ही स्वर में कहना है कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में नहीं है बल्कि समग्र कल्याण से संबंधित है, जो कोरोना महामारी के इस विकट दौर में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। दरअसल आज दुनिया संकट में है और महामारी के बीच योग इससे बाहर निकलने का रास्ता बताता है। योग जीवन के बारे में है और योगाभ्यास करना वह मार्ग है, जिसमें हमें अपनी जीवनशैली को बदलने की आवश्यकता है। अनंत काल से किया जा रहा योग केवल एक उपचार नहीं है बल्कि एक स्वस्थ और सुखी जीवन का मार्ग तथा समग्र जीवन का एक विज्ञान है। योगाभ्यास करने का सीधा सा अर्थ है एक आनंदमय जीवन व्यतीत करना।
    कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के अभाव में तड़पते तथा दम तोड़ते लोगों और परिवारों की जो दुर्दशा कुछ ही दिन पहले हमने देखी है, ऐसे में तो योग की प्रासंगिकता मानव जीवन में कई गुना बढ़ गई है। योग को फेफड़ों तथा हृदय की ताकत बढ़ाने में काफी कारगर माना गया है। इसके अलावा इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर में वायरस संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है। इसीलिए योग गुरुओं का कहना है कि स्वास्थ्य आपातकाल के वर्तमान समय में योग को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना तथा व्यापक समुदाय के लिए इसे पहुंच योग्य बनाना बेहद जरूरी है।
    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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