कोरोना (corona) के बाद अब कुछ शहरों में जीका वायरस का खौफ बढ़ा है। हालांकि यह नाम करीब दो दशक पहले चर्चा में आया था। मच्छर के काटने से यह वायरस शरीर में प्रविष्ट होता है और फिर रक्तवाहिनी (blood vessel) और मस्तिष्क के बीच का अवरोध तोड़कर अंदर घुस जाता है। कोशिकाओं में मौजूद एनएस-1 प्रोटीन इस वायरस की इसमें मदद करता है। वस्तुत: यही इस वायरस का प्रोटीन है। गर्भवती महिलाओं (pregnant women) के लिए यह वायरस विशेष तौरपर काफी घातक है।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के मॉलीक्यूलर बायोलॉजी विभाग के प्रो. सुनीत सिंह ने एक शोध में बताया कि एडीज मच्छर के काटने से यह वायरस शरीर में प्रविष्ट होता है। जीका जिस कोशिका को संक्रमित करता है, उसमें से एनएस-1 प्रोटीन निकलकर रक्त में प्रवाहित होने लगता है। रक्त के जरिये यह मस्तिष्क के अवरोधक तक पहुंच जाता है। इस अवरोधक की कोशिकाओं को भी नष्ट करने के बाद यह मस्तिष्क में घुस जाता है। प्रो. सिंह का शोध सितंबर में अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘मॉलीक्यूलर न्यूरोबायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
क्या है ब्लड-ब्रेन बैरियर
मस्तिष्क के बाहर एक झिल्लीनुमा संरचना(membranous structure) होती है, जो रक्त के साथ आने वाले अवांछित पदार्थों को मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोकती है। यह संरचना एंडोथेलियल कोशिकायों की होती है। हालांकि जीका वायरस का एनएस-1 प्रोटीन इस झिल्ली या बैरियर (barrier) को भी कमजोर करने के बाद तोड़ देता है।
लक्षण
ज्यादातर मामलों में जीका वायरस के लक्षण दिखते नहीं हैं। वैसे बुखार, शरीर में चकत्ते पड़ना, आंखें लाल होना, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में दर्द इसके लक्षण हो सकते हैं। इनकी मियाद एक सप्ताह तक हो सकती है।
लक्षण
सिरदर्द, बुखार, शरीर में चकत्ते पड़ना, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द। वैसे कई मामलों में इसके लक्षण प्रकट नहीं होते हैं।
कोई इलाज नहीं
जीका वायरस का कोई इलाज नहीं है। न वैक्सीन (Vaccine)और न ही कोई अन्य दवा। वैसे विशेषज्ञ इसके लक्षणों को ठीक करने के लिए आराम, रीहाइड्रेशन और बहुत जरूरत पड़ने पर बुखार व दर्द ठीक करने के लिए एसीटामाइनोफेन दवा लेने की सलाह देते हैं। इसमें एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।
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