भोपाल। पहले उज्जैन और उसके बाद मुरैना में अवैध शराब से कई लोगों की जान चली गई, जिसके चलते अब भोपाल पुलिस प्रशासन व आबकारी विभाग ने शराब माफिया के खिलाफ जीरो टालरेंस अभियान चलाने का निर्णय लिया है, वहीं इनके अवैध निर्माणों को भी तोड़ा जाएगा। राजधानी भोपाल में भी आबकारी अफसरों व पुलिस ने शहर के आसपास अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है है। गुरुवार को थाना सूखीसेवनिया एवं बिलखिरिया क्षेत्र में आबकारी व पुलिस के अमले ने दबिश देकर करीब 8400 किलोग्राम महुआ लहान एवं 320 लीटर हाथ भट्टी मदिरा को नष्ट करने की कार्रवाई की है। गौरतलब है कि अफीम उत्पादक राज्य होने के कारण प्रदेश में अफीम और इससे संबंधित नशे के प्रकरण दर्ज होते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां केमिकल ड्रग्स का चलन बढ़ा है। 2020 के 11 महीनों (जनवरी- नवंबर) में इससे संबंधित 193 प्रकरण दर्ज किए गए, जबकि 2019 में इनकी संख्या 81 ही थी। आधिकारिक आंकड़ों में केमिकल ड्रग्स की जो मात्रा पकड़ी गई, वह भी साबित करती है कि प्रदेश में ड्रग्स माफिया ने पैठ बना ली है। 2019 में इनसे सवा लाख नग (वायल) से अधिक ड्रग्स मिली थी तो बीते वर्ष में यह आंकड़ा चार लाख नग तक पहुंच गया।
केमिकल ड्रग्स के चौकाने वाले आंकड़े
हाल ही में प्रदेश में कई जगह ड्रग्स माफिया के पकड़ में आने के बाद यह राजफाश हुआ है कि युवाओं को इस नशे का आदी बनाया जा रहा है। प्रदेश के बड़े शहर माफिया के निशाने पर हैं। वर्ष 2020 में जनवरी से नवंबर तक नारकोटिक्स विभाग की ओर से की गई कार्रवाई में अफीम, गांजा और डोडाचूरा बड़ी मात्रा में जब्त किया गया। सबसे अधिक चौंकाने वाले आंकड़े केमिकल ड्रग्स के रहे। सूत्रों का कहना है कि केमिकल ड्रग्स की सबसे अधिक खपत भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में है। यहां हुक्का बार आदि में आने वाले युवाओं को इसकी लत लगाई जा रही है। पुलिस की ओर से इस मामले में की गई कार्रवाई का आंकड़ा भले ही पिछले साल की तुलना में बढ़ा हो, लेकिन कई मामले कागजों में दर्ज नहीं हुए हैं। केमिकल ड्रग शारीरिक और मानसिक तौर पर खोखला कर देता है। यह किडनी-लीवर को नुकसान पहुंचाने के साथ सोचने-समझने की क्षमता खत्म करता है। इस संबंध में विभाग के पुलिस अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।
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