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    ग्वालियर के इस मंदिर से हुई थी जीरो की खोज, विश्वभर के विशेषज्ञों के लिए बना रिसर्च का केंद्र

  • May 24, 2022

    ग्‍वालियर । पर्यटन की दृष्टि से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) काफी समृद्ध राज्य है। यहां काफी संख्या में धार्मिक चीजों से जुड़े लोगों का आना जाना लगा रहता है। ओरछा, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में मौजूद है। यहां प्रसिद्ध चतुर्भुज मंदिर (Chaturbhuj Temple) भी है, जहां भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 876 ईसा पूर्व में हुआ था। मंदिर शिलालेख पर खुदे विश्व के सबसे प्राचीन ज्ञात शून्य (Zero) के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। आपको बता दें, मंदिर के अंदर, भगवान विष्णु की प्रतिमा और शिलालेख पर शून्य अंकित है। लेकिन इन शून्यों को केवल वहां का टूर गाइड ही आपको दिखा सकता है। चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातें बताते हैं।


    ग्वालियर का चतुर्भुज मंदिर –
    जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में चतुर्भुज मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ये मंदिर ग्वालियर फोर्ट के पूर्वी दिशा में स्थित है। मंदिर के अंदर आपक भगवान विष्णु की भी खूबसूरत मूर्ती देख सकते हैं। अगर हम इस मंदिर के इतिहास की बात करें, तो चतुर्भुज का निर्माण साल 876 ई.पू में में करवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को वैल्लभट्ट के पुत्र और गुर्जर-प्रतिहार वंश के नागरभट्ट के पोते अल्ला ने बनवाया था। हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई इस बारे में कहना मुश्किल है।

    दुनिया का सबसे प्राचीन लिखा ज़ीरो –
    ग्वालियर मंदिर न सिर्फ भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि ये मंदिर यहां अंकित विश्व लोकप्रिय प्राचीन ज़ीरो के लिए भी जाना जाता है। इसकी खासियत की वजह से इस रहस्य को जानने के लिए कई इतिहासकार व पर्यटक देखने लिए यहां अक्सर आते रहते हैं। इस मंदिर को लेकर माना जाता है कि जिस लिखित नंबर ज़ीरों के बारे में हम और आप जानते हैं, उसका सबसे प्राचीन लिखित रिकॉर्ड इस मंदिर में देखा जा सकता है। इस खासियत की वजह से ये मंदिर विशेषज्ञों के लिए रिसर्च का केंद्र बना चुका है।

    मंदिर में ज़ीरो कहां दिखाई देता है –
    अगर आप इस मंदिर में जाएंगे, तो यहां की दीवारों में मौजूद 9वीं शताब्दी के शिलालेख पर दो बार ‘0’ लिखा हुआ दिखाई देगा। इस शिलालेख पर 270 X 167, पूजा के लिए रोजाना 50 मालाएं दान देने जैसी कई बातें अंकित हैं।

    पुराने लिखे हुए ज़ीरो से जुड़े कुछ और दावे –
    फ्रांसीस आर्कोलॉजिस्ट Adhemard Leclere ने 1891 में कुछ ऐसी पांडलिपियों की रिसर्च की, जिसमें एक डॉट को ज़ीरो की तरह उपयोग करते हुए दिखाया गया है। ये डॉट नॉर्थ ईस्ट कंबोडिया के क्रैटी क्षेत्र में मौजूद ‘Trapang Prei’ नाम की साइट पर एक पत्थर की सतह पर उकेरा गया था।

    बख्शाली पांडुलिपि –
    प्राचीन लिखित शून्य की जानकरी बख्शाली पांडुलिपि में भी मिलते हैं। इसकी खोज 1881 में पेशावर के पास बख्शाली गांव के एक खेत में हुई थी। ये पांडुलिपि 1902 से अब Bodleian Library of Oxford में है। हालांकि इस पांडुलिपि की सटीक जानकारी का पता कोई भी शोधकर्ता अभी तक नहीं लगा पाया है।

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