नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस (mohammed yunus) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister Sheikh Hasina) पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. यूनुस ने ये भी कहा कि चुनाव सुधार के बाद ही बांग्लादेश में चुनाव कराए जाएंगे. मोहम्मद यूनुस ने निक्केई एशिया को दिए इंटरव्यू में कहा, चुनाव कराने से पहले हमें अर्थव्यवस्था, शासन, नौकरशाही और न्यायपालिका में सुधार करने की जरूरत है.
यूनुस ने एक बार फिर दोहराया कि इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल में ट्रायल खत्म होने के बाद भारत को शेख हसीना का प्रत्यर्पण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक बार ट्रायल खत्म हो जाए और फैसला आ जाए तो हम भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत उनका प्रत्यर्पण करने के लिए बाध्य है.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को उन्होंने प्रोपेगैंडा बताया. उन्होंने कहा, हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार जो चिंता जता रही है, वो तथ्यों पर आधारित नहीं है. जो कुछ भी कहा जा रहा है वो सिर्फ ‘प्रोपेगैंडा’ है. इस साल 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हो गया था. प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वो भारत आ गई थीं. हसीना सरकार के जाने के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के रिश्ते खराब हो गए हैं.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले भी बढ़ गए हैं. हाल ही में हिंदू धर्म गुरु चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी के बाद रिश्ते और भी बिगड़ गए. चिन्मय दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. चटगांव की कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई 2 जनवरी तक टाल दी, क्योंकि उनकी तरफ से कोई वकील पेश नहीं हुआ था. उनके समर्थकों का दावा है कि उनके वकील की जान खतरे में है.
यूनुस ने इंटरव्यू में कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चुनावी सिस्टम, संविधान और न्यायपालिका में सुधार के लिए कई आयोग का गठन किया है. उन्होंने कहा कि इन सुधारों को लागू होने में अभी समय लगेगा, क्योंकि हम नए सिरे से बांग्लादेश का निर्माण कर रहे हैं. यूनुस ने अपने चुनाव लड़ने की बात को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल में बांग्लादेश में सबकुछ बर्बाद हो गया. उनकी सरकार में प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. यूनुस ने आरोप लगाया कि शेख हसीना ने दिखावटी चुनाव कराए और खुद को और अपनी पार्टी को निर्विरोध विजेता घोषित किया. उन्होंने एक फासीवादी शासक के रूप में शासन किया.
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