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आजादी दिवस के दिन चीन निकले यूनुस, भारत को देना चाह रहे क्या सदेंश?

  • March 28, 2025

    ढाका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से मिलने के अनुरोध का भारत से जवाब ना मिलने के बाद अब बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) चीन पहुंच गए हैं। खास बात यह है कि यूनुस ने इस दौरे पर जाने के लिए बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस का दिन चुना। बुधवार को ढाका में स्वतंत्रता के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के कुछ ही घंटों बाद मुहम्मद यूनुस खास फ्लाइट में बैठकर अपने चार दिनों के आधिकारिक दौरे के लिए चीन के लिए रवाना हो गए। भारत के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच यूनुस के इस दौरे को संयोग नहीं माना जा रहा है।

    यूनुस का यह दौरा यूं ही चर्चा में नहीं है। अंतरिम सरकार के गठन के बाद यह यूनुस की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। वहीं इस दौरे पर यूनुस अकेले नहीं गए हैं। उनके साथ विदेश मंत्री, ऊर्जा मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री और रेलवे के सलाहकारों का पूरा जखीरा चीन पहुंचा है। यहां यूनुस चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के अलावा कई उच्च स्तरीय बैठकों में भी हिस्सा लेंगे। यूनुस बोआओ फोरम को संबोधित करने के साथ-साथ चीनी कंपनियों के सीईओ से मिलेंगे। इसके अलावा वह देश में निवेश आकर्षित करने के लिए हाई-टेक पार्कों का भी दौरा करेंगे।

    चीनी राजदूत ने बताया खास
    इस बीच चीन के राजदूत याओ वेन ने इस दौरे को 50 सालों में किसी बांग्लादेशी नेता की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा बताया है। वहीं ढाका के विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी मोहम्मद जशीम उद्दीन ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस ने अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन को चुना है और इसके साथ ही बांग्लादेश एक संदेश दे रहा है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर बांग्लादेश किस संदेश की बात कर रहा है?



    क्या है यूनुस का मकसद?
    जानकारों की माने तो बांग्लादेश अपनी डूबती हुई अर्थव्यवस्था को पार लगाने के लिए चीन का हाथ पकड़ना चाहता है। ढाका स्थित द बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश का मुख्य एजेंडा 138 मिलियन अमरीकी डॉलर का स्वास्थ्य सेवा अनुदान, बांग्लादेश-चीन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत और एक संशोधित द्विपक्षीय निवेश संधि है। बता दें कि चीन पहले से ही बांग्लादेश में एक प्रमुख निवेशक और बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। यूनुस के कार्यभार संभालने के बाद से कम से कम 14 चीनी फर्मों ने 230 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। पश्चिमी देशों की घटती मदद और भारत के साथ खराब होते संबंधों के बीच यूनुस को चीन का रुख करना पड़ा है। इन सब के परे, चीन ने देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इसके लिए समर्थन की पुष्टि नहीं की है। यह यूनुस सरकार का कॉन्फिडेंस बढ़ाने का काम कर रही है।

    पीएम मोदी ने क्या कहा है?
    इससे पहले भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बांग्लादेश के लोगों को बधाई संदेश भेजे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई देगे हुए इस दिन को द्विपक्षीय संबंधों का आधार बताते हुए साझा इतिहास पर जोर दिया। यूनुस को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदानों का प्रमाण है। हम शांति, स्थिरता और समृद्धि से प्रेरित हैं और एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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