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    गुटबाजी में बंटी युकां, पुलिस के लाठी फटकारते ही आधे से ज्यादा नेता भागे

    April 12, 2022


    इंदौर। महंगाई और सरकार विरोधी अन्य मुद्दों को लेकर युवक कांगे्रस द्वारा कलेक्टर कार्यालय पर किया गया हल्लाबोल गुटबाजी में बंधकर रह गया। जिले के एक और शहर के 3-3 अध्यक्ष मिलकर भी भीड़ नहीं जुटा सके। जितने कार्यकर्ता आए वे हल्ला बोलते उसके पहले पुलिस ने लाठी फटकार दी और वे भाग खड़े हुए। बाद में पुलिस ने कुछ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। देर शाम उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया गया।

    इंदौर में रमीज खान के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष तत्सम भट्ट और स्वप्निल कामले को बनाया गया था। भट्ट और कामले का यह पहला आयोजन था। माना जा रहा था कि वे भीड़ लाकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप वे भीड़ नहीं जुटा सके। रमीज खान भी ज्यादा भीड़ नहीं लाए, वे पहले ही प्रदर्शन के समय को लेकर विरोध कर रहे थे। हालांकि वे अपने कार्यकर्ताओं को लेकर अलग खड़े रहे और बाद में जब प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया आए तो उनके साथ हो लिए।

    सबसे पहले पहुंचने वालों में जिलाध्यक्ष दौलत पटेल थे, लेकिन उनके साथ भी 70-80 कार्यकर्ता ही मौजूद थे। ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा के अध्यक्ष भी भीड़ नहीं जुटा पाए। तत्सम और स्वप्निल के पास भी कार्यकर्ताओं की कमी थी। दोपहर डेढ़ बजे कार्यकर्ता कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़े तो पुलिस ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया। यह देख कुछ कार्यकर्ता खिसकने लगे। जैसे ही कलेक्टर कार्यालय के बाहर लगे बैरिकेड्स पर नेता और कार्यकर्ता चढऩे लगे, पुलिस ने डंडे फटकारना शुरू कर दिए। इस पर आधे से ज्यादा कार्यकर्ता गलियों में भाग गए।


    पुलिस ने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी शुरू की तो कई कार्यकर्ता तो आगे की गाडिय़ों में जाकर बैठ गए, ताकि बल प्रयोग का शिकार न हो जाए। आखरी गाड़ी में भूरिया के साथ प्रभारी इशिता सेढ़ा, दौलत पटेल, तत्सम भट्ट, स्वप्निल कामले को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की गाडिय़ां रवाना होने के बाद कई नेता गलियों से बाहर निकलकर आए और चुपचाप अपने घरों को रवाना हो गए। पुलिस ने इस मामले में युवक कांग्रेस नेताओं के साथ 10 से 12 कार्यकर्ताओं पर धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

    समय को लेकर अध्यक्षों में विवाद
    सबसे पहले तो समय को लेकर अध्यक्षों में विवाद होता रहा। रमीज खान का कहना था कि अभी रोजे चल रहे हैं। धूप में परेशानी होती है, इसलिए कम कार्यकर्ता आएंगे। इसलिए समय बदला जाए, लेकिन समय नहीं बदला गया। 11 बजे प्रदर्शन होना था, लेकिन ढाई घंटे तक हरिसिद्ध मंदिर के सामने ही कार्यकर्ता खड़े रहे। हालांकि रमीज का कहना है कि रमजान के बाद वे एक बड़ा आंदोलन करेंगे।

    झंडे पकडऩे वालों को नहीं मालूम
    भाजपा की तरह कांग्रेस में भी झंडे पकडऩे वाले कार्यकर्ता नहीं मिल रहे हैं। कल दौलत पटेल के साथ मजदूर की तरह दिखने वाले कुछ ऐसे लोग आए थे, जो युवक कांग्रेस का झंडा हाथ में लिए हुए थे। उनसे जब पूछा गया कि वे कहां के कार्यकर्ता हैं तो वे कुछ नहीं बता पाए। कुछ से पूछा कि यहां किसलिए आए तो वे एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। पटेल से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने हंसकर सवाल को टाल दिया।

    भूरिया नहीं आते तो इतनी भीड़ भी नहीं जुटती
    कहा जा रहा है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया और प्रभारी इशिता सेढ़ा नहीं आते तो इतनी भीड़ भी नहीं जुटती। आंदोलन केवल औपचारिकता में बंधकर रह जाता। नेताओं ने चुटकी ली कि प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में ही ऐसा फ्लॉप प्रदर्शन हुआ, जिसमें कार्यकर्ता ही नहीं जुट पाए।

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