नई दिल्ली (New Delhi)। आगामी विधानसभा चुनावों (Upcoming assembly elections) को देखते हुए दिल्ली कांग्रेस (Delhi Congress) ने अपनी युवा शाखा दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस (Delhi Pradesh Youth Congress-DPYC) के लिए सदस्यता अभियान (Membership campaign) शुरू कर दिया है। DPYC के प्रतिनिधि भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) के चुनावों के लिए भी पात्र होंगे।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने सदस्यता अभियान का उद्घाटन कर कहा, “DPYC राहुल गांधी के ‘नेता बनो-नेता चुनो’ के दृष्टिकोण को अपनाएगा. जिसमें रिकॉर्ड संख्या में युवा सदस्यों को शामिल किया जा सके. युवा कांग्रेस राजनीति में युवाओं की एंट्री कराने का काम करती है और दिल्ली देश की धड़कन होने के नाते पूरे देश में राजनीतिक धाराओं को प्रभावित करती है।
इस वक्त दिल्ली में लगातार 15 वर्षों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी पिछले तीन विधानसभा चुनावों से शून्य पर चली गई है. पिछले संसदीय चुनावों में मिली बढ़त ने दिल्ली में कांग्रेस का कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया है।
यादव ने कहा कि युवा कांग्रेस पदाधिकारियों के लिए लोकतांत्रिक चुनाव कराने का राहुल गांधी का प्रस्ताव विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करेगा. इससे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को पार्टी के अंदर प्रमुख पदों पर पहुंचने में मदद मिलेगी। उनका मानना है कि युवा सदस्यता का विस्तार करके डीपीवाईसी सक्षम नेताओं को तैयार करेगी जो राष्ट्र को सक्षम और गतिशील नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं।
पार्टी के सदस्यता अभियान में पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा कि भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव एवं दिल्ली प्रभारी पूर्ण चंद्र पांधी, प्रभारी सचिव खुशबू शर्मा, दिल्ली युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रणविजय सिंह लोचव, भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव ऋषि भार्गव, पीआरओ मुकुल गुप्ता, भारतीय युवा कांग्रेस के चुनाव आयुक्त मकसूद मिर्जा, दिल्ली युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शुभम शर्मा और बड़ी संख्या में युवा कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए।
उन्होंने कहा, “अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर दिल्ली कांग्रेस और उसके सहयोगी संगठनों को भाजपा की तानाशाही, आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार और विफलताओं को उजागर करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, ताकि राजधानी में कांग्रेस का प्रभुत्व बहाल हो सके।
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