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RBI MPC Meeting: आपका लोन सस्‍ता रहेगा या बढ़ जाएगी ब्‍याज दर, जानें आरबीआई क्‍या ले सकता है फैसला

February 09, 2022


नई दिल्‍ली: रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक चल रही है और गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) सहित सभी 6 सदस्‍य कल यानी बृहस्‍पतिवार को ब्‍याज दरों पर फैसला करेंगे. इसका असर उद्योगों के साथ साथ आम आदमी पर भी सीधे तौर पर दिखेगा.

आरबीआई पिछले डेढ़ साल से भी ज्‍यादा समय से ब्‍याज दरों में बदलाव नहीं कर सका है. महंगाई के दबाव में न तो ब्‍याज दरों में कटौती कर पा रहा और न ही महामारी की मुश्किलों को देखते हुए दरें बढ़ा पा रहा. विश्‍लेषकों ने दावा किया है कि इस बार आरबीआई अपने रुख में बदलाव करेगा और रेपो रेट या रिवर्स रेपो रेट जैसी नीतिगत ब्‍याज दरों में कुछ परिवर्तन कर सकता है.

लिक्विडिटी बढ़ाने पर रहेगा जोर
नाइट फ्रैंक इंडिया के रिसर्च डाइरेक्‍टर विवेक राठी का कहना है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोरोना महामारी के दबाव से बखूबी उबर रही है, लेकिन रिजर्व बैंक अभी लिक्विडिटी बढ़ाने पर जोर देता रहेगा. कच्‍चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में तेज वृद्धि की वजह से फिलहाल ब्‍याज दरों में और कटौती की उम्‍मीद नहीं है. अलबत्‍ता अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार को देखते हुए रिजर्व बैंक आगे दरें बढ़ा सकता है. तीसरी लहर की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए नीतिगत दरों में एक बार फिर किसी बदलाव की उम्‍मीद नहीं है.


चौंकाने वाला फैसला कर सकता है आरबीआई
अजमेरा रियल्‍टी और इन्‍फ्रा इंडिया लिमिटेड के निदेशक धवल अजमेरा का कहना है कि कल आने वाला फैसला चालू वित्‍तवर्ष का अंतिम नीतिगत बदलाव होगा. दुनियाभर की अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सुधार के साथ सभी केंद्रीय बैंक अपनी ब्‍याज दरें बढ़ाने लगे हैं. इससे आरबीआई पर भी नीतिगत दरें बढ़ाने का दबाव बना हुआ है. रियल एस्‍टेट क्षेत्र को उम्‍मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में आरबीआई चौंकाने वाला फैसला ले सकता है.

पहले बढ़ाएगा रिवर्स रेपो रेट फिर रेपो पर फैसला
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस के वाइस चेयरमैन व एमडी उमेश रेवंकर का कहना है कि फिलहाल आरबीआई का जोर ग्रोथ पर रहेगा और वह पहले रिवर्स रेपो रेट बढ़ाने पर फैसला कर सकता है. इसके बाद 2022 की दूसरी छमाही में जाकर रेपो रेट बढ़ाने की उम्‍मीद है. मेरा अनुमान है कि अभी MSME और अन्‍य कमजोर क्षेत्रों की मजबूती पर ही ध्‍यान दिया जाएगा, ताकि कर्ज की गति बढ़ाई जा सके.

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