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    अपने घर का सपना साकार करने में अहमदाबाद, पुणे और चेन्नई सबसे आगे, मायानगरी पहुंच से दूर

    January 01, 2021

    नई दिल्ली। ड्रीम होम का सपना साकार करने में गुजरात का अहमदाबाद देश में सबसे किफायती हाउसिंग बाजार है, जिसका एफोर्डेबिलिटी रेशियो 2020 में 24 फीसदी रहा। इसके बाद 26 फीसदी के साथ पुणे और चेन्नई दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं। प्रॉपर्टी के बारे में परामर्श देने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है।   

    कंपनी ने ‘एफोर्डेबिलटी इंडेक्स’ 2020 जारी किया है, जिसके अनुसार अहमदाबाद घर खरीदने के लिए देश का सबसे किफायती बाजार है जबकि मुंबई इस मामले में सबसे महंगा है। पुणे और चेन्नई एफोर्डेबिलिटी रेशियो 26 फीसदी के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। नाइट एंड फ्रैंक इंडिया ने कहा कि 50 फीसदी से अधिक अनुपात होने से बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेना मुश्किल होता है। इससे मकान खरीदना क्षमता से बाहर हो जाता है।

    एफोर्डिबिलिटी इंडेक्‍स के तहत आय के अनुपात में मासिक किस्त (ईएमआई) को ध्यान में रखा जाता है। मकानों के सस्ता होने के मामले में पिछले दशक के मुकाबले 2020 में काफी सुधार देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार मकानों की कीमतों में कमी और हाउसिंग लोन पर ब्याज के अब तक के सबसे निचले स्तर पर जाने से 2020 में मकान खरीदना काफी हद तक पहुंच के अंदर हुआ है। हालांकि मायानगरी मुंबई की बात करें तो यह एफोर्डिबिलिटी रेशियो 61 फीसदी के साथ सबसे महंगा बाजार है।

    पिछले दशक से तुलना की जाए तो इस समय मुंबई में भी मकान लेना सस्ता लग रहा है। क्योंकि साल 2010 में मायानगरी का एफोर्डिबिलिटी रेशियो 93 फीसदी था, जो 2020 में 61 फीसदी तक गिर गया। सूचकांक में प्रॉपर्टी की कीमत, होम लोन पर ब्याज दर, परिवार की आय पर गौर किया जाता है।

    राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां भी एफोर्डिबिलिटी रेशियो में सुधार हुआ है। यहां यह अनुपात 38 फीसदी रहा जो 2010 में 53 फीसदी था। बेंगलुरु में यह 2020 में 28 फीसदी रहा जो एक दशक पहले 48 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार पुणे और चेन्नई में अनुपात सुधरकर 26 फीसदी पर आ गया जो 2010 में क्रमश: 39 फीसदी और 51 फीसदी था।

    हैदराबाद में 2010 में 47 फीसदी के मुकाबले यह अनुपात 31 फीसदी रहा, कोलकाता में यह 2020 में सुधरकर 30 फीसदी पर आ गया, जो एक दशक पहले 45 फीसदी था। नाइट एंड फ्रैंक इंडिया के सीएडी शिशिर बैजल का कहना है कि, ”देश के प्रमुख आठ शहरों के एफोर्डिबिलिटी रेशियो में पिछले दशक के मुकाबले 2020 में काफी हद तक सुधार हुआ है। इसके पीछे की मुख्य वजह लोगों की आय में सुधार, कम ब्याज दर और उसी के आधार पर मकानों के दाम में कमी आना है।” (एजेंसी, हि.स.)

     

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