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    लिथियम नहीं मेटल बैटरी से दौड़ेगी आपकी कार! भारत ऐसे देगा चीन को ‘मात’

  • October 25, 2023

    नई दिल्ली: अभी तक आपने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम बैटरी के बारे में सुना होगा. ऐसे में अगर हम कहें कि जल्द ही ईवी में लिथियम के बजाय मेटल एयर बैटरी देखने को मिलेगी, तो क्या आप भरोसा करेंगे. दरअसल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम सबसे बड़ा एनर्जी प्रोवाइडर और महंगी यूनिट है. भारत में काफी बड़ी मात्रा में लिथियम का इंपोर्ट किया जाता है. ई-व्हीकल्स को बनाने में होने वाले खर्च में बैटरी पर होने वाला खर्च भी एक है.

    हालांकि हाल में झारखंड और गुजरात में लिथियम, की खदानें देखने को मिली हैं, लेकिन टेक्निकल इशू और इसके महंगे होने के वजह से बैटरी मैन्युफैक्चरिंग थोड़ा मुश्किल हो सकता है. ऐसे में मेटल- एयर बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए एक उभरती हुई टेक्नोलॉजी साबित हो सकती है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्या मेटल बैटरी, लिथियम बैटरी की जगह ले सकती है. यहां हम आपको इन दोनों बैटरी के फायदे और नुकसान के बारे में बताएंगे जिसके बाद आप आसानी से समझ सकेंगे कि मेटल एयर बैटरी लीथियम बैटरी की जगह ले सकती है या नहीं.

    मेटल-एयर बैटरी और लिथियम एयर बैटरी
    मेटल-एयर बैटरी की लाइफ लंबी हो सकती है और इसकी कीमत बजट में होगी. ये बैटरी हल्की और रिसाइकिल सोर्स ऑफ एनर्जी है. भारत में लिथियम की उपलब्धता लिमिटेड है वहीं आने वाले समय में मेटल-एयर बैटरियां आसानी से उपलब्ध हो सकेगी, क्योंकि हमारे देश में मेटल काफी मात्रा में मौजूद है.


    लिथियम पर्यावरण के लिए खतरा?
    लिथियम को अगर सही से डी- कंपोज नहीं किया जाता है तो ये पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित होती है. वहीं अगर फ्यूचर में मेटल एयर बैटरी आती है तो इन्हें रिसाइकिल किया जा सकता है.

    मेटल-एयर बैटरी और लिथियम की डेंसिटी
    एल्युमीनियम जैसे मेटल लाइटवेट मेटेरियल हैं, जो लिथियम-आयन बैटरी के बराबर या उससे ज्यादा एनर्जी प्रड्यूस करते हैं. मेटल एयर बैटरी की एनर्जी डेंसिटी लगभग 8.1 kWh/kg हो सकती है, जबकि लिथियम-आयन की एवरेज डेंसिटी लगभग 200 kWh/kg है.

    बैटरी-स्वैपिंग फैसेलिटी
    रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की एक बड़ी कंपनी हजारों गैस स्टेशन्स में बैटरी-स्वैपिंग फैसेलिटी इंस्टॉल करने की प्लानिंग कर रही है. कंपनी का टारगेट बैटरी स्वैपिंग को आसान और तेज बनाना जैसे किसी गैस टैंक को भरने में होता है. संभावना है कि मेटल-एयर बैट्री का इस्तेमाल 1000 किलोमीटर या 2000 किलोमीटर चलने वालें ट्रक के लिए भी किया जा सकता है, इसमें ये बैटर एनर्जी बूस्टर की तरह काम करती है.

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