नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना महामारी के कारण (due to corona epidemic) वैश्विक जीवन प्रत्याशा यानी जीने की दर में गिरावट (decline in survival rate) आई है। संगठन ने कहा के कोरोना केे कारण एक दशक की प्रगति खत्म हो गई है। यूएन की इस स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 (COVID-19) के कारण जीवन प्रत्याशा में स्थिर वृद्धि और जन्म के समय स्वस्थ जीवन प्रत्याशा की प्रवृति अब एकदम एक दूसरे के विपरीत हो गई है।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि विश्व सांख्यिकी अध्ययन के अनुसार वैश्विक जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष घटकर 71.4 वर्ष हो गई। जोकि 2012 के स्तर के बराबर तक पहुंच गई है। यानी कोविड के कारण मानव समुदाय एक दशक पीछे हो गया है। स्टडी के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति की औसत आयु 2021 में 1.5 वर्ष घटकर 61.9 वर्ष हो गई है। जीवन प्रत्याशा की यह दर 2012 में थी। बता दें इससे पहले लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यही बात सामने आई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान औसत जीवन प्रत्याशा 1.6 वर्ष कम हो गई।
अध्ययन को लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनाॅम ने कहा कि ये आंकड़े जिनेवा में चल रहे वैश्विक महामारी सुरक्षा समझौते के महत्व को समझने के लिए काफी है। वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, लाॅन्ग टर्म निवेश के लिए प्रोत्साहित करना और सभी देशों के बीच समानता के भाव को बढ़ावा देना है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोविड के कारण दुनियाभर की जीवन प्रत्याशा में एक जैसी गिरावट नहीं है। अध्ययन के मुताबिक कोविड के कारण अमेरिका और दक्षिण पूर्वी एशिया सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहे। इन दोनों महाद्वीपों में जीवन प्रत्याशा में लगभग 3 साल की गिरावट आई है। वहीं पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुआ है। यहां की जीवन प्रत्याशा में 0.1 वर्ष की गिरावट आई है।
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