भोपाल। मप्र के युवा कारोबार के लिये मुद्रा में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। बीते साल भर में यह संख्या तीन लाख तक घट गई है। लघु व सूक्ष्म इकाईयों के क्रियाकलाप से उद्यमिता को बढ़ावा देने शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के आंकड़े यही बता रहे हैं। यह बात जरूर है कि पुरूषों के मुकाबले इस योजना का लाभ लेने में महिला उद्यमी आगे रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 में इस योजना का लाभ 32.49 लाख खातों को ही मिल पाया है। साल 2019-20 के मुकाबले यह संख्या 3 लाख कम है। इसलिये भी कि कोरोना संकट के दौर में भी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण मांगने वाले करोबारियों की संख्या 35.57 लाख तक हो गई थी। जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा 32.82 लाख से अधिक नहीं था। विश्वव्यापी कोरोना संकट के बीच इसमें बढ़ोत्तरी को इस योजना की सफलता के रूप में देखा जा रहा था। बावजूद इसके यह ज्यादा ज्यादा ठहर नहीं पाई। परिस्थितियों के सामान्य होने के साथ लोग ऋण लेकर व्यवसाय बढ़ाने का जोखिम नहीं उठाना चाहते है।
अव्वल रही महिलायें
योजना के सभी तरह के लाभार्थियों की संख्या में जहां एक ओर कमी आई है। वहीं दूसरी ओर महिलाओं का दखल बढ़ा है। 2020-21 में 32.49 लाख खातों में 20.99 लाख महिलाओं के थे। इनके खाते में 7889.63 करोड़ रूपये की राशि भेजी गई। जबकि इसके पहले 35.57 लाख खातों में 22.41 लाख महिलाओं को उद्यमिता प्रोत्साहन के तौर पर 8056.73 करोड़ रूपये की राशि बतौर ऋण दिया गया। इसमें महिलाओं के रूझान का भी पता चलता है। क्योंकि 2018-19 में 19.85 लाख महिलाओं को ही इसका लाभ मिल पाया था।
लाभ से वंचित कर देते हैं अनुपलब्ध दस्तावेज
राजधानी स्थित एक बैंक के शाखा प्रबंधक इस बात से इंकार करते हैं कि मुद्रा योजना के लाभार्थियों की संख्या घटी है। बावजूद इसके उनका कहना है कि दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण कुछ लोग लाभ से वंचित हो जाते हैं। क्योंकि अधिकतर आवेदनकर्ता परंपरागत व्यवसाय को आगे बढ़ाने ऋण चाहते हैं, लेकिन समय अनुरूप दस्तावेज का संधारण नहीं करते हैं। इसलिये उनका कारोबार कागज में दिख ही नहीं पाता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved