नई दिल्ली: विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज चिनाब से आप भी जल्द सफर कर सकेंगे. रियासी से संगलदान सेक्शन को सीआरएस की क्लीयरेंस मिल चुकी है, चिनाब ब्रिज इसी सेक्शन में पड़ता है. लेकिन कटड़ा से श्रीनगर तक ट्रेन से सफर करने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा. इस सेक्शन में काम अभी चल रहा है.
रियासी से संगलदान करीब 46 किमी. लंबी रेलवे लाइन है. इस रूट पर कुल नौ टनल हैं. इस पूरे सेक्शन को सीआरएस क्लीयरेंस मिल चुका है. यानी अब कभी भी यहां ट्रेन दौड़ सकती है. इस तरह यात्री विश्व के सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज से गुजरने का अनुभव कर सकते हैं. लेकिन अभी ट्रेन से कटड़ा से रियासी होते हुए श्रीनगर जाने के लिए इंतजार करना होगा.
दरअसल कटड़ा और संगलदान के बीच रेलवे लाइन का काम चल रहा है. इस रूट पर पड़ने वाली टनल की वजह से इसके निर्माण में समय लग रहा है. अभी कन्याकुमारी से कटड़ा तक ट्रेनें दौड़ती हैं, उधर, कश्मीर घाटी में बारामुला से संगलदान तक भी ट्रेनें दौड़ती हैं. कटड़ा से संगलदान के बीच ट्रैक तैयार होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी रेल मार्ग से जुड़ जाएगा. इस तरह देश के किसी भी ट्रेन के माध्यम से कश्मीर पहुंचा जा सकेगा. अभी तक लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए कटड़ा तक ट्रेन से सफर करते हैं. इसके बाद श्रीनगर भी इसी रूट से जा सकेंगे.
272 किमी. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत उधमपुर से बारामूला तक कश्मीर घाटी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली लंबी रेलवे लाइन है. यह परियोजना आज़ादी के बाद भारतीय रेलवे द्वारा किया गया सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है. यूएसबीआरएल परियोजना के महत्व को देखते हुए 2002 में ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित किया गया था.
यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें (संयुक्त लंबाई 119 किमी) शामिल हैं, सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किमी है और यह देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है. कुल 927 पुल हैं, इनमें प्रतिष्ठित चिनाब ब्रिज (कुल लंबाई 1315 मीटर, आर्क विस्तार 467 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर) शामिल है, जो एफिल टॉवर से लगभग 35 मीटर लंबा है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा आर्क रेलवे ब्रिज माना जाता है.
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