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5 साल तक करना होगा इस्लाम का पालन; वक्फ संशोधन विधेयक में और क्या-क्या किए बदलाव, जानें

  • April 03, 2025

    नई दिल्ली । संसद(Parliament) के अंदर वक्फ संशोधन विधेयक(Wakf Amendment Bill) पर विपक्षी दलों(Opposition parties) ने सवाल उठाते हुए केंद्र को घेरने की कसर नहीं छोड़ी। वहीं, सरकार ने ‘उम्मीद ’ (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट) के जरिए विपक्ष के हमलों को कमजोर करने की कोशिश की। केंद्र विधेयक का नाम बदलकर सिर्फ उम्मीद (यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट) नहीं किया है, बल्कि इसमें कई अहम बदलाव भी किए हैं।

    नए विधेयक में कहा गया है कि जो व्यक्ति कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है वही किसी भी चल या अचल संपत्ति वक्फ के तौर पर दान कर सकता है। यह संपत्ति विवादित नहीं होनी चाहिए।


    वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 में उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ प्रावधान को पूर्वव्यापी रूप से हटा दिया गया था, पर नए विधेयक इस विवादास्पद प्रावधान को केवल भावी रूप से लागू करेगा। नए विधेयक में कहा गया है कि नया विधेयक लागू होने से पहले या उससे पहले उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ के रूप में पंजीकृत मौजूदा वक्फ संपत्तियां वक्फ संपत्तियां ही रहेंगी, सिवाय इसके कि संपत्ति, पूरी तरह या आंशिक रूप से, विवाद में है या सरकारी संपत्ति है। इसका मतलब यह हुआ कि पहले से पंजीकृत वक्फ संपत्तियां तब तक वक्फ के अधीन रहेंगी, जब तक कि उन पर विवाद न हो या उन्हें सरकारी भूमि के रूप में पहचाना न जाए।

    विधेयक में सबसे बड़ा बदलाव धारा 40 को खत्म करना है। यह धारा बोर्ड द्वारा किसी भी भूमि को वक्फ संपत्ति में बदलने की अनुमति देता थी। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। अगर संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो गई तो हमेशा रहेगी।

    संशोधन विधेयक में वक्फ बाय यूजर की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। यह 1995 के कानून का एक हिस्सा है। इसके तहत बिना किसी औपचारिक दस्तावेज के भी कोई संपत्ति अगर धार्मिक उद्देश्यों के लिए लंबे समय से उपयोग की जा रही है तो इसे वक्फ का माना जाता है। कई मस्जिदें और कब्रिस्तान इस श्रेणी में आ सकते हैं। विरोधियों का कहना है कि इस प्रावधान से लंबे समय से चली आ रही वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद पैदा हो सकता है, खासकर उनके पास जिनके पास वैध वक्फनामा नहीं है।

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