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    अपने शब्दों पर कंट्रोल करना चाहिए’- राहुल गांधी के बयान पर कोर्ट की टिप्पणी

  • April 21, 2023

    सूरत (Surat)। गुजरात (Gujarat) के सूरत (Surat) की एक सत्र अदालत (sessions court) ने अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) की आपराधिक मानहानि (criminal defamation) के मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की अपील को इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया कि कर्नाटक में 2019 की चुनावी रैली में उनकी “मोदी सरनेम” वाली टिप्पणी एक निर्वाचित प्रतिनिधि को शोभा नहीं देती। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा ने कहा, “यह कोई विवादित तथ्य नहीं है कि अपीलकर्ता (तत्कालीन) एक सांसद और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष भी रहा। ऐसे में अपीलकर्ता के कद को देखते हुए, उसे अपने शब्दों से अधिक सावधान रहना चाहिए था, जिसका एक बड़ा प्रभाव लोगों के दिमाग पर होगा।”

    साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में दो साल की सजा होने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो चुकी है। साथ ही उन पर आगामी आठ सालों तक चुनाव न लड़ने की तलवार भी लटक रही है। राहुल गांधी ने सूरत के एक सत्र अदालत में मामले के खिलाफ अपील की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत में राहुल गांधी ने तर्क दिया कि यदि दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई गई तो उन्हें आठ सालों तक चुनाव से वंचित रहना पड़ सकता है। अदालत ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उन्हें “अपरिवर्तनीय क्षति” का सामना करना पड़ेगा। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें दो साल की सजा सुनाए जाने का ही स्वत: परिणाम था कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) संसद से उनकी अयोग्यता का कारण बनी।


    अब हाई कोर्ट जाएंगे राहुल गांधी
    सूरत के ट्रायल कोर्ट में राहुल गांधी के केस की पैरवी करने वाले वकील किरीट पानवाला ने कहा कि पूर्व सांसद गुजरात उच्च न्यायालय में अपील खारिज करने को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा, “फैसला निराशाजनक है, लेकिन हम सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। हमें उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने की उम्मीद है।” सत्र अदालत 20 मई को राहुल की दो साल की सजा को चुनौती देने वाली 3 अप्रैल की याचिका के दूसरे भाग पर सुनवाई करेगी। पानवाला ने कहा कि सजा पर अदालत का फैसला आने तक वह जमानत पर है।

    गौरतलब है कि जिस आपराधिक मानहानि मुकदमे में राहुल को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई, इसे 2019 में भाजपा के सूरत (पश्चिम) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोगेरा ने कहा, “समुदाय की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, लेकिन जब मानहानि का मामला एक निश्चित वर्ग या समूह के प्रत्येक सदस्य को प्रभावित करता है, तो उनमें से प्रत्येक या वे सभी कानून को गति प्रदान कर सकते हैं।”

    अदालत ने माना- राहुल गांधी ने अपमानजनक बातें की
    अदालत ने कहा कि “प्रथम दृष्टया साक्ष्य” और “निचली अदालत द्वारा किए गए अवलोकन” पुष्टि करते हैं कि राहुल ने “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणी की” और “मोदी उपनाम” वाले सभी के बारे में अपमानजनक बात की। शिकायतकर्ता एक पूर्व मंत्री हैं और सार्वजनिक जीवन से जुड़े हैं, और इस तरह की मानहानिकारक टिप्पणियों से निश्चित रूप से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा होगा और उन्हें समाज में दर्द और पीड़ा हुई होगी।

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