इंदौर। अग्निबाण ने कल 31 अक्टूबर तक 43 हजार से अधिक मरीजों के होने का जो खुलासा किया उससे इंदौर से भोपाल तक प्रशासनिक, राजनीतिक क्षेत्र में हडक़म्प मच गया और जनता तथा कारोबारियों में भी कोरोना को लेकर चिंता सताने लगी। नतीजतन रात को ताबड़तोड़ क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक रेसीडेंसी पर बुलाना पड़ी, जिसमें पहली बार डॉक्टरों से अधिकारियों-नेताओं से चर्चा की, जिसमें डॉक्टरों ने भी आइना दिखाते हुए दो टूक कहा कि बाजारों को खुलवाने के साथ कलश यात्राएं भी निकल रही है तो कोरोना तो फैलेगा ही। इंदौर में बाहरी मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
प्रदेश सरकार ने इंदौर सहित 52 जिलों के लिए जो कोविड मैनेजमेंट प्लान तैयार किया, उसमें इंदौर सहित 10 कोरोना संक्रमित जिलों में 31 अक्टूबर तक कितने मरीज होंगे उसका अनुमान लगाया गया, जिसका खुलासा कल अग्निबाण ने किया, जिसके चलते सोशल और पूरे मीडिया जगत में तो हलचल रही। वहीं राजनीतिक, प्रशासनिक और चिकित्सकीय क्षेत्र में भी इसको लेकर गंभीरता नजर आई और ताबड़तोड़ कलेक्टर की पहल पर डिस्ट्रीट क्राइसिस ग्रुप की बैठक आयोजित की गई। दरअसल इंदौर में तो अभी पर्याप्त संख्या में बैड हैं, लेकिन 40 प्रतिशत बाहरी मरीजों के दबाव के चलते बैड की कमी होने लगी, जिसमें भी आईसीयू बैड निजी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। कल ताबड़तोड़ 250 से अधिक बैड की व्यवस्था भी प्रशासन ने हॉस्पिटल संचालकों से चर्चा कर की, जिसमें 200 से अधिक बैड तो इंडेक्स में ही रखवाए गए। वहीं सुपर स्पेशिएलिटी में भी मरीजों की भर्ती शुरू कर दी गई है। कलेक्टर मनीष सिंह ने भी कहा कि अब फिर से सख्ती करना पड़ेगी। पहले भी कुछ बाजारों को बंद करवाया था। अब उसी तर्ज पर जरूरत पड़ी तो छप्पन दुकान सहित अन्य उन बाजारों को बंद करेंगे जहां कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है। बैठक में मौजूद शहर के प्रमुख डॉक्टरों और ग्रुप में शामिल डॉ. निशांत खरे तथा डॉ. हेमंत जैन सहित अन्य ने भी प्रशासन और नेताओं को महत्वपूर्ण उपाय भी सुझाय। मगर साथ में यह भी कहा कि रविवार के लॉकडाउन से भी 14 दिन की संक्रमण चैन टूटने में मदद मिल रही थी, लेकिन इसी रविवार से लॉकडाउन खत्म किया और बाजारों में भीड़ नजर आने लगी। पिकनिक स्पॉटों से लेकर 56 दुकानों पर भीड़ दिखी और कलश यात्राएं भी खूब निकाली जा रही है, तो ऐसे में कोरोना संक्रमण तो तेजी से फैलेगा ही।
अरबिंदो में 20 डॉक्टरों के हवाले 700 मरीज… तो एमवाय में 750 नहीं संभाल पा रहे 400 को
बैठक में संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने दो टूक एमवाय और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से महत्वपूर्ण सवाल भी किए। जब डॉक्टरों और स्टाफ की कमी की बात उठी तो उन्होंने कहा कि एमवाय में सरकार से वेतन लेने वाले कितने डॉक्टर हैं, तो जवाब मिला 270 डॉक्टरों के अलावा लगभग 500 पीजी स्टूडेंट हैं। यानी 400 मरीजों पर 750 डॉक्टरों का स्टाफ है, बावजूद इसके वहां मरीजों की परेशानी की सबसे अधिक शिकायतें आती है, दूसरी तरफ अरविन्दो जैसे अस्पतालों में 20 डॉक्टर 700 मरीजों को बेहतर तरीके से संभाल रहे हैं।
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