दुआएं रंजिशों की मांगीं… हसरतें हुकूमत की पालीं… दूसरों पर निगाहें डालीं और अपनों पर कहर ढाया… संगीनों के बल पर मौत का तांडव मचाता अफगानिस्तान हो या बांग्लादेश… म्यांमार हो या श्रीलंका… जबरिया हुकूमतों का सिलसिला चलता रहा… सीरिया में 54 सालों तक बाप-बेटों का कहर जुल्म बनकर जुर्म करता रहा… न अवाम की जिंदगी आजाद थी और न उनकी रोटी, कपड़ा, मकान की तमन्ना मुकाम पर थी… भूख से बिलखते… संगीनों में पलते… खंडहरों में रहते उन खामोश और उजड़ी हुई जिंदगी बिताते लोगों में कुछ विद्रोही बने… हुकूमत के खिलाफ बंदूकें उठाईं… कत्लेआम मचाकर हुक्मरानों को सडक़ों पर दौड़ा-दौड़ाकर रातोरात देश से भगाया… अफगानिस्तान में तालिबानियों ने कब्जा जमाया तो बांग्लादेश में छात्रों ने हसीना का पसीना छुड़वाया… सीरिया में असद भागे तो म्यांमार में विद्रोही जागे…श्रीलंका भी इसी संग्राम की चपेट में आया… अब पाकिस्तान की बारी है… भारत से रंजिशों की ख्वाहिश में अपनों को कातिल बना बैठा पाकिस्तान हर दिन लाशों से रूबरू होता है… खून से खेलता है… जम्हूरियत को काबू में करने के लिए अपनों पर ही लाठियां बरसाता है… लोकतंत्र से खेलते हुए इमरान को जेल में डालता है… सेना की मदद से चुनाव में हेराफेरी कर जहां सत्ता हड़पी जाती है… देश के भगोड़े नवाज शरीफ के नवाबजादों की तानाशाही से त्रस्त पाकिस्तान में भी किसी भी समय बगावत का बिगुल बज सकता है… ऐसे में यह सवाल ज्यादा मौजूं होता है कि दुनिया के हर इस्लामिक देश में जहां कत्लेआम और जिंदगियां दुश्वार हैं… वहीं भारत जैसे देश में मुस्लिमों का सुकून इस कदर बरकरार है कि वो न केवल अमन और चैन से जीते हैं, बल्कि देश के हिन्दुओं के व्यापार-कारोबार और कामकाज का भी हिस्सा बने रहते हैं… वो सियासत में भी रहते हैं और अपनी बात कहने का हक-हुकूक भी रखते हैं… फिर भी पिछले कुछ सालों से कुछ लोग बेचैन-से नजर आ रहे हैं… छोटी-छोटी बातों को दिल से लगा रहे हैं… कुछ लोग पाकिस्तान-पाकिस्तान चिल्ला रहे हैं… चांद-तारे के झंडे लहरा रहे हैं और ऐसे ही कुछ लोग देश से पूरी कौम को अलग बना रहे हैं…यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है, जहां लोकतंत्र से सरकारें चुनी जाती हैं… वोटों की ताकत देश को चलाती है और हर वर्ग की हिस्सेदारी चुनावों में नजर आती है… जहां न किसी व्यक्ति को रौंदा जाता है, न किसी वर्ग को नोंचा जाता है…न पाकिस्तान की तरह यहां कातिल पैदा किए जाते हैं, न तालिबानियों की तरह पाबंदियों में घसीटे जाते हैं… न बांग्लादेश की तरह सत्ता छीनी जाती है और न सीरिया की तरह बाप-बेटे हुकूमत चलाते हैं …न म्यांमार की तरह मुस्लिम निकाले जाते हैं और न ही इरान-ईराक की तरह शिया-सुन्नियों को लड़वाते हैं…बांग्लादेश की तरह अल्पसंख्यकों पर कहर नहीं ढाते हैं…इस सच को समझना होगा…इस वफा को कबूल करना होगा…बहके हुए लोगों को बर्बाद मुल्कों की इबादत से दूर रखना होगा…
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