– शशिकांत जायसवाल
योगी 2.0 में उत्तर प्रदेश ने नए संकल्पों के साथ देश में नंबर एक अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ नई उड़ान भरनी शुरू कर दी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती सौ दिन काफी अहम रहे। इस अवधि में सरकार ने बड़ी लकीर खींची है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य के साथ काम शुरू हो चुका है। सलाहकार भी चुन लिया गया है। विभागों को 10 सेक्टरों में बांटकर अगले पांच साल तक का खाका खींचा गया है। उसी के अनुसार सूक्ष्म, लघु और दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है। अगले पांच साल में सरकार के प्रयास परवान चढ़े तो यह तय है कि देश में उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा बदल जाएगी। उद्योग अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी महत्ता को समझते हुए अपने पिछले कार्यकाल में जब इंवेस्टर्स समिट का आयोजन करने की घोषणा की थी, तब तमाम लोगों ने सवाल खड़े किए थे, लेकिन न सिर्फ देश-दुनिया की कंपनियों ने चार लाख 68 हजार करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित किए, बल्कि तीन लाख करोड़ से अधिक का निवेश धरातल पर भी उतर चुका है। सरकार के सौ दिनों में तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी भी इसी का हिस्सा है। इसमें 80 हजार करोड़ रुपये का निवेश और इसके माध्यम से पांच लाख युवाओं को रोजगार देने की प्रक्रिया को भी अंजाम पर पहुंचाया जा रहा है। सरकार की ओर से निवेश मित्र के नाम से सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया है और निर्धारित समय में साढ़े छह लाख से अधिक एनओसी जारी की गई है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की भी तैयारी शुरू कर दी है। इसके माध्यम से सरकार की योजना 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश को धरातल पर उतारने की तैयारी है।
उत्तर प्रदेश में सरकार गठन के बाद सौ दिनों में विकास और गरीब कल्याण के कार्यों के साथ मिशन रोजगार ने रफ्तार पकड़ी है। सरकार के पहले ही फैसले में चाहे 15 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन देने की बात हो या फिर 15 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी देने की। राज्य सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में 54 हजार 883 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि लोक कल्याण संकल्प पत्र की 97 घोषणाओं का भी समावेश किया है, जिसमें 44 नई मांग के लिए सात हजार करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रस्तावित है। इनमें अधिकांश योजनाएं आने वाले समय में लोक कल्याण के कार्यों को नई दिशा देने वाली हैं। सड़कें तरक्की का आईना होती हैं। प्रदेश ने पिछले पांच वर्षों में हाइवे और एक्सप्रेस-वे के क्षेत्र में अभूतपूर्व तरक्की हासिल की है। गांव की गलियों से लेकर, ब्लॉक मुख्यालय, जिला मुख्यालय, दूसरे राज्यों और दूसरे देशों को जोड़ने वाले सड़कों का संजाल निर्मित किया है। आने वाले समय में दुनिया के कई देशों से अधिक एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी उत्तर प्रदेश में होने वाली है। उत्तर प्रदेश 13 एक्सप्रेस-वे वाला देश का पहला राज्य बना है। 32 सौ किलोमीटर के कुल 13 एक्सप्रेस-वे में से सात निर्माणाधीन है, तो छह एक्सप्रेस वे संचालित हैं।
एनसीआर और पश्चिमी यूपी के लोगों की दशकों पुरानी मांग को सरकार ने पूरा किया है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे इसका उदाहरण है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के बाद बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर भी आवागमन शुरू हो गया है। इसे 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को समर्पित कर चुके हैं। दशकों से पिछड़ा बुंदेलखंड अब सीधे दिल्ली से जुड़ गया है। डीएनडी फ्लाई-वे नौ किलोमीटर, नोएड-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे 24 किलोमीटर, यमुना एक्सप्रेस-वे 165 किलोमीटर, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे 135 किलोमीटर और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 296 किलोमीटर कुल 630 किलोमीटर की यात्रा दिल्ली से चित्रकूट तक निर्बाध गति से तय होने वाली है। बुंदलेखंड एक्सप्रेस-वे लोगों को दिल्ली सहित अन्य राज्यों से भी जोड़ेगा। बुंदेलखंड का सीधे दिल्ली से जुड़ने का लाभ लोगों को मिलेगा और पिछड़ेपन के दाग से बुंदेलखंड मुक्त हो सकेगा।
इसके अलावा लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, गंगा-एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर-सिलिगुड़ी एक्सप्रेस-वे, गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेस-वे और दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेस-वे और गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेस-वे का निर्माण भी किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे पर आपातकाल में सेना के विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए हवाई पट्टियां का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह एक्सप्रेस-वे सिर्फ वाहनों को तीव्र गति से मंजिल तक ही नहीं पहुंचाएंगे, बल्कि इन क्षेत्रों में तीव्र आर्थिक विकास के नए रास्ते भी खोलेंगे। चूंकि हाइवेज और एक्सप्रेसवेज के किनारे औद्योगिक गलियारे भी बनाए जा रहे हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की अपार संभावनाएं भी सृजित होंगी।
योगी सरकार ने प्रदेश में ट्रांसपोर्ट सिस्टम और एयर कनेक्टिविटी को और बेहतर करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। पहले प्रदेश में मेट्रो, सिर्फ गाजियाबाद और नोएडा में थी। अब प्रदेश के सबसे ज्यादा शहरों में मेट्रो की परियोजनाएं चल रही हैं। कानपुर में पिछले साल ही प्रधानमंत्री ने मेट्रो सेवाओं की शुरुआत की थी और इस साल आगरा भी मेट्रो सेवाओं से जुड़ने वाला है। एनसीआर के लिए मेट्रो से तीन गुना तेज चलने वाली रैपिड रेल शुरू होने से दिल्ली से मेरठ की यात्रा एक घंटे से कम समय में पूरी होगी। इसमें मेरठ में मेट्रो सेवाओं का संचालन भी किया जाएगा। गोरखपुर में मेट्रो लाइट सेवा, वाराणसी, प्रयागराज और झांसी में भी मेट्रो रेल परियोजना की संभावनाओं पर कार्य चल रहा है।
योगी सरकार में हवाई अड्डों के साथ यात्री भी बढ़े और उड़ानें भी बढ़ी हैं। वर्ष 2017 में मात्र चार एयरपोर्ट संचालित थे और कुल 25 गंतव्य स्थान हवाई सेवाओं से जुड़े थे। अब नौ एयरपोर्ट क्रियाशील हैं, जिनसे करीब 70 से ज्यादा गंतव्य स्थानों के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं। हाल ही में बरेली से भी उड़ानें शुरू हो चुकी हैं। 13 अन्य एयरपोर्ट और सात हवाई पट्टी का विकास कार्य चल रहा है। लखनऊ, वाराणसी और कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अलावा अयोध्या और जेवर में भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है।
महत्वपूर्ण यह है कि उत्तर भारत के किसी राज्य में दो से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नहीं है। कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि सरकार की ओर से जिस स्पीड से काम किया जा रहा है, यह उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति को भी दर्शाता है। आने वाले समय में देश में सर्वाधिक मेडिकल कॉलेज, एक्सप्रेस-वे, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और मेट्रो आदि परियोजनाएं नए भारत के नए उत्तर प्रदेश में होंगी। पहली बार किसी राज्य में सूक्ष्म, लघु और दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है। इसी वजह से विभागों में भी आपसी प्रतिस्पर्धा दिख रही है और हर विभाग बेहतर करने का प्रयास कर रहा है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में महज 100 दिनों में सरकार ने जिस दूरदर्शिता के साथ कदम बढ़ाए हैं, वह अपने आप में मिसाल है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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