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    योगी का रोजगार मॉडल: यूपी में मेडल लाने वाले बेच रहे चाय, काट रहे लकड़ी

  • May 27, 2021

    लखनऊ। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बीच मार्च के बाद से लगातार बेरोजगारी की दर बढ़ (Unemployment rate increase) रही है. पिछले महीने 75 लाख लोगों की नौकरी छिन जाने का दावा किया गया. कोरोना(Corona) संकट से बचाने को लॉकडाउन (Lockdown) लगता है तो नौकरियों पर भी ताले लटक जाते हैं, ऐसे में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)में जिन्होंने प्रदेश, देश औऱ विदेश तक में अपने खेल कौशल के दम पर सम्मान दिलाया वो अब समोसा बेचने, कारपेंटर का काम, चाय बेचने के लिए लाचार हैं.



    उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में तलवारबाजी के एक ऐसे कोच हैं, जिन्होंने सात आठ साल कोचिंग दी है, जिस हाथ में तलवार रहती थी, आज उसमें आरी है. संजीव कुमार गुप्ता (Fencing coach Sanjeev Kumar Gupta) 2020 के लॉकडाउन से पहले तक तलवारबाजी के प्रदेश स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ी तैयार करके देते थे. अखबारों की कतरन में इनके कारनामे अब भी दर्ज हैं.
    घर की दीवार पर लटके मेडल और शेल्फ पर सजी ट्रॉफियां कोच संजीव कुमार की कोचिंग की गवाही देती है, लेकिन लॉकडाउन में कोचिंग बंद हुई तो संविदा पर कोचिंग देते रहे. खिलाड़ी संजीव कुमार के हाथों में तलवार की जगह आरी आ गई, क्योंकि घर में अब बेरोजगारी आ गई है. संजीव कुमार गुप्ता (तलवारबाजी के कोच) ने कहा कि कमाई का कोई जरिया नहीं, रोज तीन सौ रुपया मिलता है.
    उन्होंने कहा कि इतना पैसा भी नहीं मिल पाता कि बेटी के स्कूल की फीस भर पाएं, इसलिए 12 साल की तलवारबाजी की खिलाड़ी बेटी ख्याति दोस्तों से स्कूल ना आने की झूठी वजह बता देती है. ख्याति बोलती हैं कि मेरा दूसरे स्कूल में एडमिशन हो गया.

    मुक्केबाजों के कोच

    वहीं, जिन हाथों ने बड़े मुक्केबाजों को मेडल दिलवाए, वो हाथ अब बेरोजगारी के चलते चाय बेचने तक को मजबूर हुए. कोच मोहम्मद नसीम चाय बेचने को मजबूर.

    महेंद्र सिंह, तीरंदाजी के कोच

    जिन हाथों से समोसे बन रहे हैं, इन्हीं हाथों में कभी तीर धनुष होता था. प्रदेश का नाम रोशन किया, देश को कई तीरंदाज दिए, लेकिन 44 साल के कोच महेंद्र प्रताप सिंह (Archery coach Mahendra Pratap Singh) अब समोसा बेचकर घर चलाने को बैठे हैं. महेंद्र सिंह (तीरंदाजी के कोच) ने कहा कि नियम से भर्ती हो गई होती तो रिजनल स्पोर्ट्स अधिकारी होते, ये नहीं सोचा था कि ऐसा करना होगा.

    ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार की योजनाएं क्या सिर्फ खिलाड़ियों के मीडिया में चकाचौंध बंटोरने तक ही दिखती हैं. वर्ना मुक्केबाज तैयार करने वाले कोच मोहम्मद नसीम चाय बेचने को क्यों मजबूर हुए?

    गौरतलब है कि 16 मई को खत्म हुए हफ्ते में बेरोजगारी दर बढ़कर 14.45 फीसदी तक पहुंच गई. बेरोजगारी दर का ये आंकड़ा 49 हफ्ते में उच्चतम स्तर पर है. मार्च से लेकर अब तक के आंकड़ों में बेरोजगारी को अगर देखा जाए तो मार्च में बेरोजगारी दर करीब 6.5 फीसदी थी, अप्रैल में यह बढ़कर 7.97 फीसदी तक पहुंच गई और फिर मई में ये 14.45 प्रतिशत तक आ गई. सेंटर फॉर मॉनि​टरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक अप्रैल के महीने में 75 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी या रोजगार छीन चुका है.
    सरकारों ने गरीबों, रेहड़ी पर रोजगार करने वालों के लिए राशन और कई जगहों पर कुछ पैसे देने का इंतजाम किया है, लेकिन इन योजनाओं से मध्यम वर्ग देश का हमेशा अछूता रहता है, जो अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए चुपचाप सहता है.

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