नई दिल्ली: असम सरकार (assam government) को यूपी (up) के सीएम (cm) योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) का बुलडोजर मॉडल (bulldozer model) काफी महंगा पड़ गया है. बुलडोजर एक्शन की वजह से अब हिमंत बिस्वा सरमा सरकार (himanta biswa sarma government) को लाखों रुपए देने पड़ गए. दरअसल, असम सरकार ने उन पांच परिवारों को 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया है, जिनके घरों पर 2 साल पहले बुलडोजर चला था. इन परिवारों पर एक थाना जलाने का आरोप था. दो साल पहले अफसरों ने नागांव जिले में पुलिस स्टेशन को जलाने में उनकी कथित संलिप्तता की वजह से बुलडोजर चलवा दिया था. मगर अब अदालत के आदेश के बाद सरकार ने मुआवजा दे दिया है. इसकी जानकारी असम सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट को दे दी है.
असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने सफीकुल इस्लाम के परिवार के लिए 2.5 लाख रुपये का मुआवजा भी मंजूर किया है. सफीकुल इस्लाम की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बताद्रवा पुलिस थाने में आगजनी की थी. असम सरकार के वकील ने गौहाटी हाईकोर्ट को बुधवार को इसकी जानकारी दी. सीनियर सरकारी वकील डी नाथ ने चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस सुमन श्याम की डिविजन बेंच को यह भी बताया कि सफीकुल इस्लाम का परिवार अभी तक वारिस होने का सर्टिफिकेट पेश नहीं कर पाया है. जैसे ही वे सर्टिफिकेट जमा कर देंगे, अधिकारी मुआवजे की राशि जारी कर देंगे.
क्यों दिया मुआवजा, क्या था मामला?
उन्होंने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि नागांव के पुलिस अधीक्षक ने सोमवार को अन्य पांच पड़ित परिवारों को मुआवजा दे दिया. दरअसल, 21 मई 2022 को मछली बेचने वाले इस्लाम की मौत पुलिस कस्टडी में हो गई थी. इसके बाद नागांव जिले के सलोनाबारी गांव में कुछ लोगों की भीड़ ने बताद्रवा पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया था. इस घटना के अगले ही दिन असम सरकार का बुलडोजर एक्शन दिखा था. अधिकारियों ने कथित तौर पर आगजनी की घटना में शामिल पांच परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया था. पुलिस ने घरों को अवैध मानते हुए बुलडोजर एक्शन लिया था. उस वक्त पुलिस का कहना था कि ध्वस्त किए गए घर उन लोगों के थे, जो अवैध रूप से या फिर फर्जी दस्तावेजों के साथ वहां बसे थे.
हाईकोर्ट ने जमकर लगाई थी फटकार
घरों पर बुलडोजर एक्शन का गौहाटी हाईकोर्ट ने पिछले साल स्वत: संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट में उस वक्त की चेफ जस्टिस आर एम छाया की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था इस एक्शन को अवैध बताया था. बेंच ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि राज्य सरकार अवैध कार्रवाई से प्रभावित लोगों को मुआवजा देगी. हाईकोर्ट ने पहले उस वक्त के पुलिस अधीक्षक को कड़ी फटकार भी लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जांच की आड़ में बिना अनुमति के किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला सकती.
दोषी अधिकारियों पर क्या एक्शन हुआ?
इस मामले में इसी साल 24 अप्रैल को आईजीपी यानी पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) ने राज्य सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी को मुआवजे का प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव के मुताबिक, हर पक्के घर के लिए 10 लाख रुपये और ध्वस्त किए गए प्रत्येक कच्चे घर के लिए 2.5 लाख रुपये की सिफारिश थी. असम सरकार ने सोमवार को जिन घरों को मुआवजा दिया, उनमें से दो पक्के मकान और चार कच्चे मकानों को ध्वस्त करने के लिए था. हालांकि, बुधवार को गौहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार से यह भी पूछा कि आखिर घरों पर बुलडोजर चलवाने वाले दोषी अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. अदालत ने चार सप्ताह के भीतर इसकी जानकारी मांगी है.
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