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    योगिनी एकादशी: भगवान विष्‍णु की पूजा के दौरान पढ़ें ये कथा, मनोकामनाएं होंगी पूरी

  • July 05, 2021

    आज यानि 5 जुलाई को है आषाढ़ माह की योगिनी एकादशी है. हिंदू धर्म में एकादशी की काफी महिमा मानी गई है। योगिनी एकादशी का व्रत व्रत अषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। योगिनी एकादशी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा (prayer) अर्चना करते हैं और कथा का पाठ करते हैं। इस व्रत कथा (Vrat Katha) के बिना एकादशी का व्रत अधूरा माना जाता है।

    योगिनी एकादशी व्रत कथा:
    पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वर्ग की अलकापुरी नगरी में कुबेर नामक एक राजा रहता था। कुबेर भगवान शिव (Lord Shiva) का भक्त था। वो हर दिन भोलेनाथ की पूजा करता था। राजा की पूजा के लिए हेम नामक एक माली फूल लाता था। हेम माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था, जो एक अत्यंत सुंदर स्त्री थी। फिर एक दिन माली सरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामातुर होने की वजह से अपनी पत्नी से हास्य-विनोद करने में व्यस्त हो गया और राजमहल नहीं गया। दूसरी तरफ राजा माली का दोपहर तक इंतजार करता रहा। इसके बाद राजा कुबेर(king kuber) ने सैनिकों को आदेश दिया कि जाओ माली अब तक क्यों नहीं आया, इसका पता करो। सैनिकों ने लौटकर राजा को बताया कि माली बहुत पापी और अतिकामी है। वो अपनी पत्नी के साथ हास्य-विनोद में लगा है। ये सुनकर राजा कुबेर क्रोधित हो गए और माली को तुरंत उपस्थित करने का आदेश दिया।

    इसके पश्चात हेम माली राजा डर के मारे से कांपता हुआ राजा के पास आया। राजा कुबेर ने माली श्राप देते हुए कहा, ‘अरे नीच! पापी! कामी! तूने देवों के देव महादेव का अनादर किया है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू पत्नी के वियोग में तड़पेगा। मृत्युलोक में जाकर तू कोढ़ी हो जाएगा।’


    फिर मृत्युलोक में आकर हेम माली ने बहुत सारे कष्ट सहे। एक बार तो भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के हेम माली भटकता रहा। फिर वह ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में जा पहुंचा। उसने ऋषि को अपनी कहानी बताई। ऋषि ये सुनकर बोले- तूने मुझे सत्य बात बताई है, इसीलिए मैं तुम्हे उद्धार के लिए एक व्रत बता रहा हूं, अगर तुम योगिनी एकादशी का विधि-विधान से व्रत करोगे तो सभी पापों का विनाश हो जाएगा।

    ये सुनकर माली ने ऋषि को प्रणाम किया और विधिपूर्वक योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत रखा। फलस्वरूप हेम माली दोबारा स्वर्ग गया और अपनी पत्नी के साथ सुख से रहने लगा।

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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