नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में।
एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है। आज 24 मई को योगिनी एकादशी व्रत है और अगले दिन यानी कल 25 मई को व्रत का पारण किया जाएगा। एकादशी व्रत के पारण से पहले व्रती को एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि व्रत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
पारणा टाइम-
एकादशी व्रत कथा- प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली रहता था। उसका काम हर दिन भगवान शिव के पूजन के लिए मानसरोवर से पुष्प लाना था। एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने के कारण फूल लाने में बहुत देर हो गई। वह दरबार में देरी से पहुंचा।
इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया। तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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