लखनऊ । उत्तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) ने 5 सितंबर को (On 5 September) लखनऊ में लेवाना सूट होटल में (In Lucknow’s Levana Suites Hotel) आग लगने के मामले में (In Case of Fire) 15 अधिकारियों (15 Officers) को निलंबित कर दिया (Suspended), साथ ही चार सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ (Against Four Retired Officers) भी कार्रवाई की जाएगी (Will also be Processed) । यह कदम लखनऊ के उस होटल के कामकाज के संबंध में कथित ‘सांठगांठ’ की उच्चस्तरीय जांच के बाद उठाया गया है। अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस आयुक्त एस.बी. शिरोडकर और लखनऊ के संभागीय आयुक्त रोशन जैकब ने संयुक्त रूप से घटना की उच्चस्तरीय जांच की। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि शनिवार की तड़के सौंपी गई रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अधिकारियों ने होटल परिसर में विभिन्न उल्लंघनों पर लाल झंडा नहीं उठाया। मुख्यमंत्री ने घटना के तुरंत बाद शिरोडकर और जैकब को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया था। जिन पांच विभागों पर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है, उनमें गृह, ऊर्जा, नियुक्ति, आवास एवं शहरी नियोजन (लखनऊ विकास प्राधिकरण) और आबकारी विभाग शामिल हैं।
सुशील यादव, तत्कालीन अग्निशमन अधिकारी, योगेंद्र प्रसाद यादव, अग्निशमन अधिकारी (द्वितीय), मुख्य अग्निशमन अधिकारी विजय कुमार सिंह, सहायक निदेशक (विद्युत सुरक्षा) विजय कुमार राव, सहायक अभियंता आशीष कुमार मिश्रा और अनुमंडल अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा, महेंद्र कुमार मिश्रा पीसीएस (तत्कालीन सक्षम प्राधिकारी) लखनऊ विकास प्राधिकरण को निलंबित कर दिया गया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की जाएगी।निलंबित किए गए अन्य लोगों में लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सहायक अभियंता राकेश मोहन (आवास और शहरी नियोजन विभाग), कनिष्ठ अभियंता जितेंद्र नाथ दुबे, कनिष्ठ अभियंता रवींद्र कुमार श्रीवास्तव, कनिष्ठ अभियंता जयवीर सिंह और राम प्रताप माटे, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी संतोष कुमार तिवारी, आबकारी निरीक्षक सेक्टर-1 अमित कुमार श्रीवास्तव और उप आबकारी आयुक्त (लखनऊ) जैनेंद्र उपाध्याय शामिल हैं।मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सेवानिवृत्त) अभय भान पांडेय, एलडीए के कार्यपालक अभियंता (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता (सेवानिवृत्त) ओम प्रकाश मिश्रा एवं सहायक अभियंता (सेवानिवृत्त) गणेशी दत्त सिंह के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि जांच रिपोर्ट में प्रवेश और निकास मार्ग, वेंटिलेशन के साथ-साथ दोषपूर्ण अग्नि सुरक्षा उपकरणों से संबंधित कई खामियों का भी उल्लेख किया गया है। संयुक्त रिपोर्ट में कथित तौर पर होटल के अंदर अग्निशमन उपकरणों में कमियां पाई गईं। इसके अलावा यह भी सामने आया कि हालांकि अग्निशमन के इंतजाम अपर्याप्त थे, लेकिन दमकल विभाग ने होटल को एनओसी दे दी थी।रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई आपातकालीन निकास नहीं था, लेकिन किसी भी नागरिक विभाग ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। इसके अलावा, होटल को इन कमियों को उजागर करने के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। इसके अलावा, बेसमेंट में पार्किं गा स्थल का उपयोग वाहनों को पार्क करने के बजाय अन्य चीजों के भंडारण के लिए किया जाता था। किचन में खुली वायरिंग थी, जिससे शार्ट-सर्किट की स्थिति में सभी को आग लग गई।आग बुझाने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के बिना बार कथित तौर पर चालू था। इसके अलावा, निकासी, होटल के कर्मचारियों के अनुचित प्रशिक्षण और कई बिंदुओं पर अनुचित निर्माण की खराब व्यवस्था थी।
घटनास्थल की जांच करने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पहले कहा था कि शराब की बोतलें तीसरी मंजिल पर पड़ी थीं और उसके ऊपर की मंजिल पर एक बार था। उन्होंने आशंका जताई कि शराब की ज्वलनशील प्रकृति के कारण आग शराब की बोतलों तक फैल गई, जिससे आग की लपटें तीसरी मंजिल तक फैल गईं। शिरोडकर ने कहा, “हमने शुक्रवार की देर रात रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया और शुक्रवार/शनिवार मध्यरात्रि को लगभग 12 बजे इस पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद, रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई।”
पुलिस ने इससे पहले होटल के दो मालिक राहुल और रोहित अग्रवाल, रोहित के पिता पवन अग्रवाल और होटल के महाप्रबंधक सागर श्रीवास्तव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (लापरवाही से मौत), 308 (लोगों को बेहोश करके उनकी जान जोखिम में डालना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। अदालत ने इनमें से तीन राहुल, रोहित अग्रवाल और सागर श्रीवास्तव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हजरतगंज थाने के वरिष्ठ उपनिरीक्षक दया शंकर द्विवेदी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में कहा गया था कि होटल में आग से सुरक्षा के कोई उपाय नहीं थे। इसके अलावा, होटल में आपातकालीन प्रवेश और निकास मार्ग नहीं थे।
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