उज्जैन। शहर के बीच स्थित प्राचीन और पर्यटन महत्व की योगेश्वर टेकरी पिछले 3 दशकों से अतिक्रमणों से घिरती जा रही है। सिंहस्थ 2016 में टेकरी के विकास के कुछ काम हुए थे लेकिन उसके बाद से नगर निगम इसकी लगातार अनदेखी कर रहा है। उचित प्रोजेक्ट बनाकर इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। नई नगर निगम परिषद चाहे तो इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल कर विकास के रास्ते खोल सकती है। महाकाल विस्तारीकरण से लेकर रूद्रसागर विकास सहित कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी योजना के तहत चल रहे हैं। महाकाल क्षेत्र में ही 700 करोड़ से ज्यादा के नए विकास कार्य किए जा रहे हैं। बावजूद इसके प्राचीन और पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण योगेश्वरी टेकरी के लिए कोई प्लानिंग नहीं की गई। हालांकि सिंहस्थ 2016 में यहाँ 25 से 30 लाख के काम हुए थे। वह भी अब अनदेखी के चलते टूटने-बिखरने लगे हैं। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 5 साल पहले 2298 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। इसके बाद केन्द्र सरकार ने उज्जैन शहर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए दूसरे चरण में 22 सितम्बर 2016 को चयनित किया था। उसके बाद से लेकर अब तक स्मार्ट सिटी योजना में कई प्रोजेक्ट शामिल किए गए। इसमें सबसे पहले पर्यटन क्षेत्रों का विकास करना, आवागमन सुविधा को बढ़ाना तथा आर्थिक क्षेत्रों का विकास करना शामिल किया गया था। मृदा योजना के तहत महाकाल और रूद्रसागर का विकास करना शामिल किया गया था। शुरुआत में इसके लिए 600 करोड़ से ज्यादा की योजना बनाई गई थी। शहर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किए जाने के करीब एक साल बाद स्मार्ट क्लास बनाने, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था शुरु करने, 402 करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट के जरिये शिप्रा नदी में मिल रहे बड़े नालों के गंदे पानी को रोकने की योजना को भी मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा व्हीकल ट्रेनिंग सिस्टम, बाईक शेयरिंग, चौराहा सौंदर्यीकरण, मल्टी मॉडल ट्रांजिस्ट हब विकास करने के साथ-साथ आगर रोड स्थित मिल क्षेत्र में एनएंड इको हब बनाना शामिल किया गया था। इस प्रोजेक्ट में अभी तक ज्यादातर ध्यान महाकाल रूद्रसागर क्षेत्र के विकास पर ही दिया जा रहा है। जबकि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से कोई अन्य प्रयास नहीं किए जा रहे। यही कारण है कि शहर के मध्य स्थित प्राचीन योगेश्वर टेकरी का वैभव चारों ओर से अतिक्रमणों से घिरता जा रहा है।
चारों ओर निर्माण के बीच दो रास्ते
योगेश्वर टेकरी पर सिंहस्थ के दौरान यहाँ नई सीढिय़ाँ बनाने, उन पर पत्थर लगाने, टेकरी के ऊपर स्थित बगीचे में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, चकरी आदि लगाने जैसे काम भी किए गए लेकिन उसके बाद नगर निगम ने इसकी देख-रेख नहीं की और यह सभी टूट-फूटकर बिखरने लगे हैं। सिंहस्थ के दौरान यहाँ करीब 25 से 30 लाख रुपए की राशि खर्च कर यह काम कराए गए थे। इधर नई सड़क की ओर से गुजराती समाज स्कूल के समीप से योगेश्वर टेकरी का प्रवेश मार्ग अतिक्रमण के कारण बाहर से आए पर्यटकों को नजर तक नहीं आता। इधर हुकूमचंद कछवाय मार्ग की ओर से टेकरी का दूसरा प्रवेश द्वार है। इसके आसपास भी निर्माण हो चुके हैं। टेकरी चारों ओर से निर्माणों से घिर गई है।
चाहें तो बढ़ सकता है पर्यटन
बीच शहर में स्थित योगेश्वर टेकरी पर पर्यटन को बढ़ावा देने वाली योजना पर जन प्रतिनिधियों को विचार करना चाहिए। नागरिकों के सुझाव है कि टेकरी की ओर पर्यटकों को लुभाने के प्रयास किए जा सकते हैं। इसके लिए रोप-वे बनाकर भी पर्यटकों के लिए टेकरी पर आने-जाने की व्यवस्था की जा सकती है। यह प्रयास लोगों को सीढिय़ों से छुटकारा दिलाने वाला तो होगा ही इसके साथ ही रोप-वे पर सवार होकर टेकरी तक पहुँचने का रोमांच भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। इसके अतिरिक्त टेकरी पर पर्यटकों की सुविधा के लिए कुछ स्थानों पर झोपड़ीनुमा रेस्टोरेंट, सुविधाघर आदि की भी व्यवस्था की जा सकती है। संभवत: अगर यह प्रयास होते हैं तो इससे निश्चित ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और नगर निगम या अन्य किसी विभाग को इससे राजस्व भी प्राप्त होगा।
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