चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) से पहले योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने राज्य में कांग्रेस के आने की भविष्यवाणी की थी। यही नहीं उन्होंने कांग्रेस की हवा, आंधी और सुनामी जैसा दावा भी कर दिया था। इसे लेकर अब वह ट्रोल हो रहे हैं। प्रदीप गुप्ता (Pradeep Gupta) समेत कई चुनावी पंडित इस बार गलत साबित हुए हैं और उनमें से एक योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) भी हैं। योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने अब बताया है कि आखिर कहां उनसे हरियाणा के माहौल को समझने में चूक हुई और कैसे भाजपा (BJP) की सत्ता में वापसी हो गई। योगेंद्र यादव कहते हैं कि यह चुनाव एक टी-20 मैच की तरह था, जो आखिरी गेंद तक खेला गया और अंत में जीत भाजपा को मिली।
योगेंद्र यादव ने एक लेख में कहा, ‘भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम का रहा है। क्रिकेट की भाषा में बात करें तो यह टी-20 मैच जैसा था, जो दो ओवर रहते हुए ही खत्म होना चाहिए था। लेकिन यह आखिरी गेंद तक खिंच गया। अब तीन सवाल पर मंथन करना चाहिए। हमने इसे इतना आसान चुनाव क्यों माना? यह इतनी टाइट फाइट वाला संघर्ष कैसे बन गया? आखिर हरियाणा के चुनाव में कैसे हार गए?’ मुख्य तौर पर हरियाणा में कांग्रेस की नीति की भाजपा ने काट खोज ली और अपने समीकरणों के जरिए चुनाव जीत लिया।
वह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 19 फीसदी का इजाफा हुआ था। राज्य में किसान, पहलवान और जवान का नैरेटिव बना था। योगेंद्र यादव लिखते हैं, ‘मैं भी मान रहा था कि यह जो नैरेटिव बना है, उससे कांग्रेस को बढ़त मिलेगी। वह अब कमजोर नहीं होगी। ऐसा अनुमान इसलिए था क्योंकि किसान, पहलवान के नैरेटिव पर पड़ने वाला वोट जेजेपी और इनेलो को मिलता नहीं दिख रहा था। इसके अलावा राहुल गांधी के आक्रामक अभियान से ऐसा लग रहा था कि दलित वोट बड़ी संख्या में कांग्रेस को ही मिलेगा।’
लोकसभा में अच्छी बढ़त, पर विधानसभा में कैसे हार गई कांग्रेस
यह स्थिति लोकसभा चुनाव में दिखी भी थी और 19 फीसदी वोट शेयर बढ़ाते हुए कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले एक पर्सेंट की बढ़त पा ली थी। लेकिन ऐसा लगता है कि किसान, पहलवान, संविधान और जवान के नारे ने काम नहीं किया। यही नहीं ऐसा लगा कि कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में आ गई है। 10 साल की सरकार के खिलाफ जमीन पर ऐंटी इनकम्बैंसी थी और ऐसा लग रहा था कि भाजपा की स्थिति 2014 और 2019 के मुकाबले कमजोर होगी। यह चुनाव दो तरफा था और कांग्रेस भाजपा को मिलाकर 79 फीसदी वोट पड़ा, जो 2014 में 55 पर्सेंट ही था।
कांग्रेस जाट समुदाय के भरोसे रह गई, भाजपा ने बना ली रणनीति
योगेंद्र यादव लिखते हैं, ‘किसान जवान पहलवान और संविधान के नैरेटिव में यह गलती हुई। मैं भी उन विश्लेषकों में से एक था, जो मानते थे कि इसका तात्कालिक लाभ कांग्रेस को होगा। हालांकि मैंने लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी सीटों का अनुमान जाहिर नहीं किया था, लेकिन यह साफ कहा था कि कांग्रेस को फायदा मिलेगा।’ योगेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस शायद जाट समुदाय पर ज्यादा निर्भर हो गई, जबकि भाजपा अपनी रणनीति पर अमल करती रही। वहीं सब कोटा वाले विवाद से उसे दलित वोटों के बंटवारे का भी मौका मिला। इसके अलावा नायब सिंह सैनी को सीएम बनाने को भी वह भाजपा की कामयाब रणनीति मानते हैं।
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