इन्दौर। कल मारवाड़ी अग्रवाल कालोनी में कार्रवाई शुरू कर पांच मकानों को तोड़ा जा रहा था और इसी दौरान खूब हंगामा मचा। विधायक के पहुंचने के बाद तो कुछ लोगों ने रिमूवल टीम और अफसरों के साथ धक्का-मुक्की कर डाली। निगम अधिकारी वर्मा बचकर जाने लगे तो कुछ लोगों ने उन्हें धक्का देकर विधायक के सामने ले गए। कल सारे अधिकारी मनीषसिंह और देवेंद्रसिंह के कार्यकाल को याद कर रहे थे।
अब तक रिमूवल कार्रवाई के दौरान पुलिस बल होने के बावजूद अफसरों और कर्मचारियों की बुरी गत हुई। कई बार बातचीत से मामले सुलझे हंै, लेकिन कल हंगामे के दौरान स्थिति ज्यादा खराब हो गई थी। रिमूवल के अधिकारी और कर्मचारी अलग-अलग वाहनों में जाकर बैठ गए थे। हंगामा चलता रहा था और इस दौरान वहां लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। कई परिवारजन अपने हाथों में मकानों के रजिस्ट्री, कागजात और टैक्स की रसीदें लेकर अफसरो को बता रहे थे। निगम अधिकारी देवकीनंदन वर्मा और दीपक गरगटे भी वहां अधिकारियों के रूप में शामिल थे।
कोई भी बड़ा अधिकारी या प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। रिमूवल अमले को कल पूर्व निगमायुक्त मनीषसिंह और अपर आयुक्त रहे देवेंद्रसिंह की याद आई, क्योंकि वे एक बार कार्रवाई के लिए भेजी गई टीम बिना कार्रवाई किए वापस नहीं बुलाते थे। यहां तक कि देवेंद्रसिंह हर छोटी-बड़ी कार्रवाइयों के दौरान मौके पर पहुंचकर स्थितियों का सामना करते थे। हंगामा होने के दो ढाई घंटे बाद तक रिमूवल का अमला मौके पर डटा रहा, ताकि कब अफसर फिर कार्रवाई केलिए निर्देश दे दें। बाद में हंगामा बढ़ता देख सारे अधिकारी और अमला रवाना हो गया।
ऐसी कार्रवाइयों में क्यों नहीं पहुंचते बड़़े अफसर
नगर निगम में अपर आयुक्तों की फौज है और अन्य अधिकारी भी बड़े पैमाने पर हैं, मगर उसके बावजूद कहीं भी कार्रवाई के लिए निगम रिमूवल अमले के साथ सिर्फ बीओ, बीआई को भेज दिया जाता है, जबकि पूर्व में कार्रवाइयों के दौरान संबंधित अपर आयुक्त को मौके पर रहने के निर्देश दिये गये थे, मगर इसका पालन आज तक नहीं हुआ। कई बार रिमूवल के दौरान ऐसे ही घटनाक्रम बनते हैं, जिसके चलते मौके पर छोटे अधिकारी किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं ले पाते।
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