इंदौर। देश की राजधानी दिल्ली कुछ दिनों से कोहरे से घिरी हुई है। इसके कारण सबसे ज्यादा हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है। दिल्ली ज्यादातर एयरलाइंस का बेस होने के कारण ज्यादातर उड़ानें सुबह यहीं से शुरू होती हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण ये सभी लेट हो रही हैं। इसके कारण लगभग पूरे देश का हवाई शेड्यूल बिगड़ा हुआ है। कल इंदौर आने और जाने वाली 40 से ज्यादा उड़ानें लेट रहीं, वहीं 4 को निरस्त किया गया। आज भी सुबह से उड़ानों के लेट होने का सिलसिला जारी है।
एविएशन एक्सपट्र्स की मानें तो दिल्ली से उड़ानें समय पर न निकल पाने या पहुंच न पाने के कारण उनका दूसरे शहरों तक जाना-आना लेट हो रहा है। एक बार सुबह बिगड़ा यह शेड्यूल पूरे दिन के शेड्यूल को बिगाड़ देता है। दिल्ली एयरलाइंस का बेस होने के कारण ज्यादातर उड़ानें सुबह अपना शेड्यूल यहीं से शुरू करती हैं। दिल्ली से निकलने के बाद एक के बाद एक कई शहरों तक जाकर रात को वापस दिल्ली पहुंचती हैं, लेकिन दिल्ली से निकलने में हो रही देरी के कारण सभी शहरों तक जाने वाली उड़ानें लेट हो रही हैं। इंदौर पर भी इसका सीधा असर नजर आ रहा है।
इंदौर में दिल्ली के साथ ही अन्य शहरों से आने वाली उड़ानें भी लगातार लेट हो रही हैं। कल ही यह आंकड़ा 40 के पार पहुंचा। इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कल लेट हुई उड़ानों में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, नागपुर, पुणे, सूरत, अहमदाबाद, शिर्डी, जयपुर, उदयपुर, गोवा, चंडीगढ़, जम्मू सहित कुछ अन्य शहरों की उड़ानें शामिल थीं। इसके साथ ही दिल्ली से शाम 6.25 बजे इंदौर आकर 7.05 बजे वापस दिल्ली जाने वाली, सुबह 8.10 बजे लखनऊ जाने वाली और रात को लखनऊ से 11.45 बजे आने वाली उड़ानें निरस्त रहीं। वहीं आज भी इंडिगो ने अभी से रात 8.10 बजे बेंगलुरु से आने वाली उड़ान को निरस्त करने की घोषणा कर दी है। रात तक उड़ानों के निरस्त होने और लेट होने के आंकड़े और बढ़ेंगे।
यात्री परेशान, दिनभर बनी रही हंगामे की स्थिति
उड़ानों के निरस्त और घंटों लेट होने से सबसे ज्यादा परेशानी हजारों यात्रियों को उठाना पड़ रही है। यात्री उड़ानों के तय समय के हिसाब से एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां जाकर उन्हें उड़ानों के निरस्त या लेट होने की जानकारी मिल रही है। इसके चलते अकसर हंगामे की स्थिति बन रही है। यह स्थिति सुबह से रात तक एयरपोर्ट पर देखी जा सकती है। एयरलाइंस के अधिकारी भी मजबूर हैं, उनके पास कोई जवाब भी नहीं है।
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