अग्निबाण की लाइव चुनावी रिपोर्टिंग और महेश जोशी की बेबाकी… पहले नाराज हुए, फिर कायल भी
इन्दौर, राजेश ज्वेल। 1999 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में अग्निबाण के प्रबंध सम्पादक राजेश चेलावत ने एक फैसला किया कि हम प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय से आने वाले प्रेस नोट और उनके जनसम्पर्क को नहीं छापेंगे, बल्कि जो दिखा वो लिखा की तर्ज पर लाइव रिपोर्टिंग करवाएंगे। नतीजतन तब कांग्रेस उम्मीदवार महेश जोशी (Mahesh Joshi) के चुनावी कवरेज जनसम्पर्क की लाइव रिपोर्टिंग का जिम्मा मुझे सौंपा गया… पहले ही दिन नंदलालपुरा स्थित मंदिर से दर्शन के बाद महेश जोशी का चुनावी जनसम्पर्क शुरू हुआ और इंदौर (Indore) को लंदन बना देने के दावे सहित अन्य की रिपोर्टिंग छपी और उसके तुरंत बाद फोन आना शुरू हो गए। दो-तीन दिन जब इसी तरह मैदानी रिपोर्टिंग के चलते कई खामियां उजागर होने लगी तो पहले तो महेश जोशी नाराज हुए और फिर बाद में इस बात के भी कायल हो गए कि इसके चलते उन्हें चुनावी प्रबंधन में सुधार करना पड़े और अग्निबाण (Agniban) ने जो गलतियां उजागर की उसे वे दुरुस्त करते रहे और सांवेर की एक नुक्कड़ सभा में दूर खड़े अग्निबाण रिपोर्टर को देखते हुए माइक से ही बोले कि अगर अग्निबाण ये बात ना छापे तो मैं एक खुलासा करना चाहता हूं कि हम कांग्रेसियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं। हां, ये बात सही है कि हम खाते हैं, लेकिन बदले में लोगों के काम भी दबंगता से करते हैं। दूसरी तरफ भाजपा के लोग पैसा भी खा जाते हैं और काम भी नहीं करते और हरीशचंद्र बनकर अलग घूमते हैं। इंदौर में एक समय श्री जोशी का जलवा जलाल था और अफसरों से लेकर सारे राजनीतिक उनके ईर्द-गिर्द मंडराते नजर आते थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, क्योंकि कांग्रेसियों ने ही एकजुटता नहीं दिखाई।
लम्बे समय से बीमार चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेश जोशी (Mahesh Joshi) का कल रात निधन हो गया, जिनका अंतिम संस्कार आज इंदौर में किया जा रहा है। अपनी बेबाकी, यारबाजी से लेकर लोगों के काम करवाने की जो महारथ उन्हें हासिल थी, इसकी कोई मिसाल किसी इंदौरी नेता में नहीं मिल सकती। 1999 का लोकसभा चुनाव उन्होंने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती सुमित्रा महाजन के मुकाबले लड़ा और उस वक्त ताई का पार्टी में ही तगड़ा विरोध था, जिसके चलते शुरुआत से ही यह हवा बन गई कि इस बार तो जोशी जी डंके की चोंट पर चुनाव जीतेंगे और ताई एक लाख वोट से हारेगी। इस रोचक और कश्मकश वाले चुनाव पर पूरे प्रदेश की निगाह टिकी थी, जिसके चलते अग्निबाण प्रबंधन ने इसकी लाइव रिपोर्टिंग करवाने का निर्णय लिया। पहले दिन से ही कांग्रेस उम्मीदवार महेश जोशी (Mahesh Joshi) के जनसम्पर्क, चुनावी बैठकों से लेकर अंदर खानों की खबरें उजागर की जाने लगी, जिसके चलते कांग्रेस खेमे में तो खलबली मती ही, वहीं महेश जोशी भी नाराज हुए। इस लाइव चुनावी रिपोर्टिंग का जिम्मा मेरे ही पास था। लिहाजा मैं सुबह से देर रात तक महेश जोशी के जनसम्पर्क और उनकी हर गतिविधि में पीछे-पीछे शामिल रहता। खुली जीप में महेश जोशी इंदौर के कांग्रेस नेताओं, जिनमें पं. कृपाशंकर शुक्ला, प्रेमचंद गुड्डू, रघु परमार के साथ अन्य नेताओं के साथ जनसम्पर्क करते और पीछे-पीछे स्कूटर पर मैं हर जगह पहुंच जाता। शुरू के दो-तीन दिन जब जनसम्पर्क की मैदानी हकीकत अग्निबाण में छपने लगी तो पहले तो महेश जोशी सहित उनके समर्थक नाराज हुए। पहले ही दिन मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद महेश जोशी ने नंदलालपुरा क्षेत्र से जो कि ताई का गढ़ था, अपना जनसम्पर्क शुरू किया। अग्निबाण की हेडलाइन बनी – इंदौर को लंदन बनाने का किया दावा… तब शहर आज की तरह विकसित नहीं हुआ था और सडक़, बिजली, पानी, आवारा पशुओं से लेकर तमाम समस्याएं मौजूद थी। ऐसे में महेश भाई इंदौर को लंदन बनाने के सपने दिखा रहे थे। खबर छपने के बाद संजू से लेकर अश्विन और अन्य लोगों के फोन भी आए और फिर दो दिन बाद निपानिया गांव में जनसम्पर्क करते वक्त महेश जोशी ने अपनी जीप रूकवाई और पैदल चलते हुए मेरे पास पहुंचे और कहा कि भाई सब कुछ गलत ही दिख रहा है क्या..? थोड़ा-बहुत हमारा भी पक्ष छापो। उसके बाद जो गलतियां अग्निबाण ने उजागर की, उसे उन्होंने अपने जनसम्पर्क और चुनावी प्रबंधन में सुधारा और अग्निबाण रिपोर्टर को इस बात के लिए धन्यवाद भी दिया। उसी वक्त शाम के एक अन्य अखबार द्वारा उनके खिलाफ लगातार अभियान भी चलाया जा रहा था, जिसके चलते पूरा चुनाव अत्यंत ही संवेदनशील भी हो गया था। शासन-प्रशासन से लेकर राजनीतिक हल्कों में इंदौर का यह चुनाव अत्यंत ही महत्वपूर्ण बन गया, लेकिन महेश जोशी की तारीफ करना होगी कि उन्होंने मैदानी गलतियों को ना सिर्फ स्वीकारा, बल्कि अग्निबाण की रिपोर्टिंग की बाद में जमकर प्रशंसा भी की। यहां तक कि सांवेर के एक गांव में जब नुक्कड़ सभा रहो थी और साथ में प्रेमचंद गुड्डू सहित अन्य नेता भी थे, तब श्री जोशी ने दूर खड़े अग्निबाण रिपोर्टर यानी मुझे देख लिया और माइक से ही बोले कि अगर अग्निबाण ये खबर नहीं छापे तो मैं एक बात बोलना चाहता हूं, तब मैंने हाथ हिलाकर मना किया कि नहीं छापूंगा, तब वे बोले कि हम कांग्रेसियों पर आरोप लगतें हैं कि पैसा खाते हैं… हां, ये बात सही है और लोगों के काम भी करते हैं। भाजपाइयों की तरह नहीं कि पैसा भी खा लेते हैं और हरीशचंद बनते हुए काम भी नहीं करते। इस तरह के महेश भाई से जुड़े कई किस्से हैं। अग्निबाण परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
इंटरव्यू इतना अच्छा लगा कि ताबिज बनाकर पहन लूं
चुनाव प्रचार समाप्ति और मतदान से पहले जैसा कि रिवाज है प्रत्याशियों के इंटरव्यू अखबारों में छपते हैं। लिहाजा मैंने भी महेश जोशी (Mahesh Joshi) की लाइव चुनावी रिपोर्टिंग करने के साथ उनका एक विस्तृत इंटरव्यू भी लिया और उसे प्रकाशित किया, जो श्री जोशी को इतना पसंद आया कि वे बोले कि इस इंदरव्यू को मैं ताबिज में बंद कर गले में पहन लूं। उसके बाद महेश जोशी से जब भी मुलाकात होती वे चुनावी रिपोर्टिंग और मेरे द्वारा की गई आलोचना और तारीफ का जिक्र करना नहीं भूलते।
इंदौर की पहली बूथ कैप्चरिंग और बॉबी छाबड़ा
इस लोकसभा चुनाव में इंदौर की पहली बूथ कैप्चरिंग भी हुई और दो मतदान केन्द्रों पर चुनाव आयोग को फिर से वोट डलवाना पड़े। और मजे की बात यह रही कि श्री जोशी के विश्वस्त सहयोगी रहे इंदरसिंह छाबड़ा के बेटे बॉबी छाबड़ा (Bobby Chhabra) पर ही इसके आरोप भी लगे, जो कि बाद में चर्चित भूमाफिया भी बना। दरअसल जोशी परिवार की छाबड़ा परिवार से घनिष्ठता रही और इसी तरह शहर के अन्य बिल्डर-कालोनाइजर भी उनकी छत्रछाया में रहे, उनके भी अलग-अलग किस्से हैं कि उन्हें किस तरह महेश जोशी बचाते रहे।
ए राजा… सुन ले… इंदौर में तो मेरी ही चलेगी
जब मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) थे तब महेश जोशी के जलवे इंदौर सहित पूरे प्रदेश में एकतरफा चलते थे। दिग्विजय सिंह वे राजनीतिक गुरु भी थे, जिसके चलते वे उन्हें बेबाकी से बोल भी देते थे। कई मौकों पर उन्होंने कहा कि ए राजा… सुन, इंदौर में तो मेरी ही चलेगी और उन्होंने कई फैसले बदलवा भी दिए। यही कारण है कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें अपना करीबी शख्स बताया, जिसे खो दिया और बड़ा भाई, पिता तुल्य भी उन्हें गया, जिनसे उन्होंने काफी कुछ सीखा भी।
जयपुर जा रहा बॉम्बे हॉस्पिटल ले आए इंदौर
इंदौर को नर्मदा के साथ कई सौगातें महेश जोशी (Mahesh Joshi) ने दिलवाए। यहां तक कि इंदौर विकास प्राधिकरण से रिंग रोड बनवाया और बाम्बे हास्पिटल के लिए जमीन भी दिलवाई। आवास एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए उन्होंने कई काम किए और इंदौर का बाम्बे हास्पिटल जयपुर जा रहा था, उसे रूकवाया और इंदौर लेकर आए, जो आज स्वास्थ्य के मामले में इंदौर की सबसे बड़ी सौगात है। इसी तरह महेश जोशी ने राजनीतिक नियुक्तियों, ट्रांसफर, पोस्टिंग से लेकर हर फैसले अपनी मर्जी से करवाए।
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