- नागदा के पार्षद ने ब्यूरोक्रेसी को सिखाया कैसे चलाते है प्रशासन…
नागदा। शासन की योजनाओं का लाभ जनता तक सुगम तरीके से ना पहुंचे, लोग सरकारी दफ्तरों में धक्के खाए और फिर परेशान होकर अधिकारी-कर्मचारियों को काम के एवज में रिश्वत का नजऱाना दे तब ही योजनाओं का फायदा वे ले पाएं। हर सरकारी दफ्तरों में ये व्यवस्थाएँ अघोषित तरीके से संचालित की जाती है। मगर कोई विरोध नहीं करता। कारण इसमें सबका हिस्सा है। बड़े से लेकर छुटभैये नेता तक इसलिए खामोश रहते हैं क्योंकि इनके हर छोटे-बड़े कार्यक्रमों, धरने, प्रदर्शन, आंदोलन, रैली-जुलूस का खर्च ये अधिकारी-कर्मचारी ही उठाते है तो फिर जनता जाए भाड़ में। मगर नागदा के एक पार्षद ने स्थानिय प्रशासन के गले मे मात्र तीन दिनों में ऐसी घंटी बांधी है जिसकी आवाज़ पूरे सूबे में गूंज रही है। नपा से लेकर तहसील, खाद्य विभाग से लेकर एसडीएम कार्यालयों में धूल खा रही जनता की पेंडिंग फाइल बुलेट ट्रेन की स्पीड से दौडऩे लगी है। परेशान जनता के हक-अधिकार की नियमावली के साथ अफसरों को इस पार्षद ने इतने सलीके से कर्तव्यनिष्ठा का पाठ कंठस्थ कराया है कि धक्का खाती प्रशासन की रेल पटरी पर आ गई है। उस पार्षद का नाम तो आप सभी जानते ही है, लोग उन्हें प्रकाश जैन कहकर बुलाते है, मगर जो कारनामा उन्होंने बीते तीन दिनों में किया है, उसके बाद लोग उन्हें क्षेत्र के राजनीतिक भविष्य का उत्तराधिकारी भी कहने लगे है…।
आइए जानते है प्रकाश जैन क्यों चर्चा में हैं..!
- मामला-1 : पहले विवाह पंजीयन के लिए दूल्हा-दुल्हन को नगरपालिका में फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए प्रत्यक्ष उपस्तिथि अनिवार्य थी। इसके पहले आवदेन ओर दस्तावेजों कि पूर्ति के लिए भी नपा व अधिकारियों के चक्कर लगाना होते थे। दूल्हा-दूल्हन के उपस्थित नहीं रहने को आधार बनाकर कई पंजीयन के आवेदन निरस्त कर दिए थे।
अब -वर्ष 2008 में मप्र सरकार द्वरा जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन के अनुसार अब आवेदक नगरपालिका में प्रत्यक्ष मौजूद रहने की बजाए आवदेन रजिस्टर्ड डाक से भेज सकते हैं। इसके बाद अधिकारियों को प्रमाण पत्र बनाकर डाक से ही भेजना होगा, अब दूल्हा-दुल्हनों को फिजिकली उपस्थित होने की जरूरत नहीं होगी। इस कारण अब आवेदन निरस्त नहीं होंगे। - मामला-2 : पहले-तहसील कार्यालय में अचल संपत्ति नामांतरण के लिए प्रापर्टी के खरीदार ओर बेचवाल दोनों की उपस्थिति के बाद ही तहसीलदार नामांतरण प्रकरण स्वीकृत करते थे । ऐसे में अधिकांश मामलों में बेंचवाल के मौजूद नहीं होने से प्रापर्टी का मूल्य चुकाने के बावजूद खरीदार को नामान्तरण के लिए परेशान होना पड़ता था।
अब-2021 में राजस्व विभाग के तात्कालिक प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के पत्र को आधार बनाकर पार्षद जैन ने एसडीएम को पत्र देकर रस्तोगी के पत्र का हवाला देकर व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए। इसके बाद हाथों हाथ व्यवस्था बदल गई। अब बेचवाल के उपस्थित नहीं होने पर उसे सूचना पत्र व अख़बारों में विज्ञप्ति प्रकाशन को आधार बनाकर नामांतरण कर दिया जाएगा - मामला-3 : पहले- समग्र आईडी व राशनकार्ड में परिवर्तन/सुधार के लिए लेकर नगरपालिका के कर्मचारी लोगों को खाद्य विभाग भेज देते थे, जबकि खाद्य विभाग के लोग फिर से उन्हें नगरपालिका भेज देते थे। इस तरह से लोगों के सामान्य से काम के लिए दो दफ्तरों के बीच चक्कर लगाने पड़ते थे।
अब -पार्षद जैन ने जनसुनवाई में आवेदन के माध्यम से जिरह करके बताया कि नियम क्या है। नतीजा अब खाद्य विभाग के एक अधिकारी को मय रिकॉर्ड के नपा कार्यालय में नगरपालिका कर्मचारियों के साथ बैठा दिया। अब दोनों कर्मचारी मौके पर ही तय कर लेते हैं कि किस आवेदन का निपटान किसे करना है। इससे लोगों को दो दफ्तरों के बीच चक्कर नहीं लगाने होंगे। इस तरह नागरिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रकाश जैन ने प्रशासनिक व्यवस्था की धीमी चाल से परेशान आम नागरिकों की परेशानी का समाधान करने में बड़ी भूमिका निभाई है ।