नई दिल्ली । दुनियाभर में कोरोना महामारी से जंग अभी भी जारी है. वही चीन के कई शहरों में कोरोना संक्रमण बढ़ने से लॉकडाउन (Lockdown) की स्थिति है. इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने देश की जीरो-कोविड नीति (Zero Covid Policy) पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ अब तक की सबसे कड़ी चेतावनी जारी की है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक शंघाई के कई लोगों ने पिछले पांच हफ्तों में भोजन की गंभीर कमी और मेडिकल देखभाल तक पहुंच में कमी को लेकर अपना गुस्सा निकालने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है. ऐसे में गुरुवार को शी जिनपिंग की अध्यक्षता में एक बैठक में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की टॉप पोलित ब्यूरो स्थायी समिति ने जीरो कोविड पॉलिसी का दृढ़ता से पालन करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही महामारी की रोकथाम नीतियां को लेकर संदेह करने या इनकार करने वाले किसी भी कृत्यों के खिलाफ सख्ती से एक्शन की बात कही गई है.
जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ आवाज बर्दाश्त नहीं- शी जिनपिंग
चीन के स्टेट मीडिया के अनुसार यह पहली बार है जब शी जिनपिंग ने बैठक में गंभीरता से और अहम भाषण दिया और कोविड के खिलाफ चीन की लड़ाई के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी की है. शंघाई में सख्ती से लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक तौर पर हंगामा और प्रदर्शन हुआ था. सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक 7 सदस्यीय समिति ने कहा कि हमारी रोकथाम और नियंत्रण रणनीति पार्टी की प्रकृति और मिशन से निर्धारित होती है. हमारी नीतियां इतिहास की कसौटी पर खरी उतरेगी. हमारे उपाय वैज्ञानिक और प्रभावी हैं. उन्होंने कहा कि हमने वुहान की रक्षा के लिए लड़ाई जीत ली है और हम निश्चित रूप से कोविड के खिलाफ शंघाई की रक्षा के लिए लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे.
शंघाई समेत कई शहरों में लॉकडाउन पर लोगों में गुस्सा
चीन के शंघाई समेत कई शहरों में लॉकडाउन की स्थिति से लोगों में असंतोष का माहौल है. कई जगह सड़कों पर लोग पुलिस और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से भी भिड़ते दिखे. लोगों में अंसतोष की दबाने की भी पूरी कोशिश की जा रही है. सड़कों साथ चीन की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन देश के शीर्ष नेताओं के ताजा बयान ने यह साफ कर दिया है कि चीन की सरकार निकट भविष्य के लिए अत्यधिक पारगम्य ओमिक्रोन वैरिएंट को स्क्वैश करने के लिए तेजी से लॉकडाउन, सामूहिक परीक्षण और क्वारंटाइन पर भरोसा करने के अपने दृष्टिकोण को और बढ़ा सकती है. बहरहाल देश में गंभीर आर्थिक गिरावट ने अर्थशास्त्रियों और व्यावसायिक अधिकारियों की भी चिंताएं बढ़ा दी है.
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