नई दिल्ली। बहुपक्षीय समझौते को अपनान की मांग पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को विरोध का सामना करना पड़ा। चीन समर्थित समझौते के संयोजक इसे सर्वसम्मति से अपनाने पर जोर दे रहे हैं, जबकि इससे कुछ सदस्य असंतुष्ट हैं। चीन समर्थित इस समझौते का विरोध करने वालों का तर्क है कि निवेश समझौते में जनादेश का अभाव है। न्यूजीलैंड के कानूनविद जेन केल्सी ने इसकी निंदा कर इसे चीनी धमकी करार दिया। डेबोरा जेम्स ने भी दबाव की निंदा की।
2030 तक शून्य भुखमरी के लक्ष्य पर भारत का दो टूक संदेश
भारत (India) ने डब्ल्यूटीओ से सार्वजनिक खाद्य भंडारण (public food storage) मुद्दे का स्थायी हल खोजने का आह्वान करते हुए कहा है कि यह सीधे तौर पर 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के शून्य भुखमरी के सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, डब्ल्यूटीओ को चाहिए कि वह जलवायु परिवर्तन, लैंगिग व श्रम जैसे गैर-व्यापार संबंधी विषयों के नियमों को संबंधित अंतर-सरकारी संगठनों में हल करे। उन्होंने जोर दिया कि खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण पर स्थायी समाधान जरूरी है, क्योंकि इसके बिना विकास एजेंडा अधूरा रहेगा।
जाहिर है यह सीधे तौर पर दुनिया को भुखमरी से मुक्त बनाने के सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिए अनिवार्य है। अतीत में सदस्यों ने स्पष्ट सहमति के बावजूद स्थायी हल नहीं ढूंढा गया है, जो बताता है कि यह हमारे एजेंडे का हिस्सा नहीं रहा है। डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों के व्यापार मंत्री 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के लिए अबू धाबी में जुटे हैं। सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने 26 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात में चार दिन की बैठक शुरू की।
कई चुनौतियों का सामना कर रही व्यापार प्रणाली
डब्ल्यूटीओ का मकसद वैश्विक वाणिज्य नियम बनाना है। लेकिन संगठन प्रमुख नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने उम्मीदों पर अंकुश लगाने की मांग की। सम्मेलन के अध्यक्ष और यूएई के विदेश व्यापार मंत्री थानी अल जायोदी ने कहा, डब्ल्यूटीओ के मूल में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली एक अहम मोड़ पर है। यह कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इनका सामना करना होगा।
विश्व अर्थव्यवस्था युद्ध-अस्थिरता से प्रभावित
डब्ल्यूटीओ के प्रमुख नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने सोमवार को चेताया कि युद्ध-अस्थिरता वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने संगठन से सुधारों को अपनाने का आग्रह किया क्योंकि दुनिया की लगभग आधी आबादी के लिए चुनाव नई चुनौतियां ला सकते हैं।
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