उज्जैन। उज्जैन की धार्मिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को अत्याधुनिक तकनीक से निकालकर उस पर शोध कार्य होना चाहिए। इसे लेकर पुरातत्व विभाग को पत्र के माध्यम से सुझाव दिया गया है।
परमहंस डॉ. अवधेशपुरीजी ने पुरातत्व विभाग दिल्ली को विस्तृत पत्र लिखकर वर्तमान में चल रही खुदाई व पुरा संपदा को लेकर पंचसूत्रीय सुझाव पत्र प्रेषित किया है। महाराजश्री ने लिखा है कि उज्जैन का नाम प्रतिकल्पा है ,यह सृष्टि के प्रारंभ में स्थापित हुआ प्राचीनतम नगर है। अब तक तीन बार उज्जैन का पुरातात्विक उत्खनन हो चुका है। सन 1938, 1955 और 1964 में, किंतु जितनी पुरा संपदा का भंडार एवं हजारों वर्ष प्राचीन मंदिर का ढांचा इस बार निकला है वह पूर्व में कभी नहीं निकला। इसकी सार्थकता सिद्ध करने एवं भविष्य में श्रेष्ठ उत्खनन के उद्देश्य से पांच सूत्रीय सुझाव पत्र लिखा है। कोटली के विष्णु मंदिर एवं उड़ीसा के रानीपुरझारिया मंदिर की तर्ज पर महाकाल मंदिर को भी राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया जाए। पुरातात्विक उत्खनन का शेष कार्य अत्याधुनिक तकनीकी से जांच कराकर अत्याधुनिक तकनीकी द्वारा किया जाए। खुदाई में निकले हजारों वर्ष प्राचीन मंदिर के ढांचे के स्थान पर शोध मन्दिर का निर्माण हो। महाकाल म्यूजियम बनाकर पुरा संपदा का संरक्षण किया जाए। पुरा संपदा एवं शैव दर्शन पर शोध के लिए उच्च शिक्षित संतों के मार्गदर्शन में शोध समिति का गठन हो, जिससे महाकाल मंदिर शैवदर्शन का शोध केंद्र बन सके। पत्र की प्रति पुरातत्व विभाग दिल्ली के साथ-साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत, अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान आदि को भेजी गई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved