डेस्क। पाकिस्तान और भारत में 1971 के वार के दौरान पाकिस्तान की जोरदार हार हुई थी। पाकिस्तान को न सिर्फ थल पर बल्कि नौसेना की जंग में भी मुंह की खानी पड़ी थी। पाकिस्तान का गुरूर मानी जाने वाली पनडुब्बी PNS Ghazi जो भारत के INS विक्रांत को मारने आई थी, वो खुद ही ढेर हो गई थी। उस पाकिस्तानी पनडुब्बी का मलबा विशाखापट्टनम के तट पर मिला है। यह पनडुब्बी 1971 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान डूब गई थी। पाकिस्तान ने इसे गुपचुप तरीके से भारतीय विमानवाहक पोत INS विक्रांत को खत्म करने के लिए भेजा था, लेकिन पाकिस्तान का इससे संपर्क भी टूट गया और यह डूब गई।
यूरेशियन टाइम्स ने बताया कि भारतीय नौसेना के डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) ने पीएनएस गाजी का मलबा ढूंढा। इंडियन आर्मी के एक सेवारत अधिकारी ने इसकी पुष्टि की कि विशाखापत्तन के तट से कुछ मील दूर डूबी पाकिस्तानी पनडुब्बी का मलबा मिला है। इसे स्कैन किया गया, लेकिन शहीद नौसैनिकों के सम्मान की परंपरा को ध्यान में रखते हुए इसे अछुता ही छोड़ दिया गया।
DSRV ने ढूंढा पीएनएस गाजी का मलबा
भारत उन 6 देशों में शामिल है, जिसके पास डीएसआरवी तैनात करने की क्षमता है। भारत ने इन वाहनों को 2018 और 2019 में लीज पर लिया था। भारतीय नौसेन ने चल रहे मिलान अभ्यास के दौरान अपनी डीएसआरवी क्षमता का प्रदर्शन किया. पीएनएस गाजी पर 93 लोग सवार थे।
PNS Ghazi के डूबने की पूरी कहानी क्या है?
ये बात 1971 में पीएनएस गाजी को आईएनएस विक्रांत का पता लगाने के लिए बंगाल की खाड़ी में उतारा गया। आईएनएस विक्रांत पूर्वी मोर्चे पर नौसैनिक नाकाबंदी कर रहा था। 14 नवंबर को पनडुब्बी कराची बंदरगाह से रवाना हुई और इसके कमांडर जफर मोहम्मद खान थे। पनडुब्बी की 26 नवंबर को वापसी की उम्मीद थी, लेकिन जब तय समय पर पनडुब्बी की वापसी नहीं हुई तो पाक नौसेना के मुख्यालय से संपर्क स्थापित किया गया, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। यही समय था जब भारत को पीएनएस गाजी के बारे में पता चला। 9 दिसंबर को नौसेना हेडक्वार्टर ने पनडुब्बी के डूबने का संदेश भेजा और पनडुब्बी के डूबने की जानकारी दी।
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