अशोकनगर। मप्र में हो रहे 28 सीटों के उपचुनाव में अशोकनगर की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर एक ऐसे प्रत्याशी मैदान में है जो इससे पहले सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग से भी अलग-अलग चुनाव लड़ चुके हैं। इनकी जाति को लेकर विवाद चलता रहा है। लेकिन पिछली कमलनाथ सरकार की कृपा से इन्हें दलित होने का प्रमाण पत्र हाथ लग गया है। कांग्रेस से भाजपा में आए जसपाल सिंह जज्जी जाति से सिख हैं। सिक्खों में भी अपने आपको अब दलित बताने लगे हैं। जज्जी ने अशोकनगर में जनपद सदस्य का पहला चुनाव सामान्य वर्ग की सीट से लड़ा था। तब किसी को नहीं पता था कि वे सिक्खों में दलित हैं। इसके बाद जज्जी ने अशोकनगर नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव पिछड़े वर्ग की आरक्षित सीट से लड़ा। तब उनके पास ओबीसी वर्ग का होने का प्रमाण पत्र था। 2018 का विधानसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दलित वर्ग के लिए आरक्षित अशोकनगर सीट से लड़ा। मजेदार बात यह है कि इस बार उनके पास दलित वर्ग का होने का प्रमाण पत्र भी था। बताया जाता है कि चुनाव जीतने के बाद उनकी जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायतें भी हुईं। लेकिन 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने उनकी ऐसी मदद की कि उनके हाथ दलित होने का प्रमाण पत्र मिल ही गया।
जज्जी इस बार भी स्वयं को दलित बताते हुए चुनाव मैदान में हैं। भाजपा के जो नेता उनके प्रमाण पत्र पर उंगली उठाते थे, उन्हें मजबूरी में ही सही अब जज्जी के साथ चुनाव प्रचार करते देखा जा रहा है। मप्र में नेताओं की जाति प्रमाण पत्र को लेकर कई विवाद हैं। लेकिन जज्जी का शायद इकलौते ऐसे नेता हैं जो पिछले तीन चुनाव अलग-अलग जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर जीत चुके हैं।
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