डेस्क: हिंदू कैलेंडर का छठवां महीना भाद्रपद कहलाता है. सनातन परंपरा में इस पावन महीने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इसमें कई तीज-त्योहार आते हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण से लेकर भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव शामिल है. इस पावन मास में ही पितरों की पूजा से जुड़ा पितृपक्ष भी आता है. ऐसे में यह मास में की जाने वाली तमाम देवी-देवताओं और पितरों की पूजा और कर्मकांड का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. भादो के महीने में कब किस देवी या देवता की पूजा करने पर साधक को क्या फल मिलता है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
1. गणपति: हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है. भाद्रपद मास में शुभ और लाभ के देवता माने जाने वाले गणपति का जन्मोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. यह गणेश उत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाता है. इस दिन गणपति की पूजा करने पर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
2. श्रीकृष्ण: भाद्रपद मास में भगवान गणेश की तरह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भी हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. ऐसे में इस दिन कान्हा की पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं. इसी प्रकार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलदाऊ की जयंती का पर्व मनाया जाता है. जिसे हलछठ भी कहते हैं.
3. श्री राधा : सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को जहां कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है तो वहीं इसी मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्मोत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर राधा जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं.
4. भगवान विष्णु : भाद्रपद मास में भगवान विष्णु के न सिर्फ कृष्णवतार स्वरूप की बल्कि अनंत स्वरूप की पूजा का विधान भी है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी पर पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने पर साधक को अनंत सुख एवं पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस मास में पड़ने वाली एकादशी व्रत पर भी श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है.
5. पितरों की पूजा: भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है. ऐसे में इस दिन से पितरों की पूजा एवं श्राद्ध प्रारंभ हो जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की विधि-विधान से पूजा एवं श्राद्ध करने पर पितर प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को उनका आशीर्वाद मिलता है.
6. भगवान शिव: हिंदू मान्यता के अनुसार चातुर्मास के शुरु होते ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. जिसके बाद चार महीने तक भगवान शिव ही सृष्टि का संचालन करते हैं. ऐसे में इन चार महीने में शिव पूजा बहुत ज्यादा शुभ और कल्याणकारी मानी गई है. इस दौरान पड़ने वाले सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि की पूजा करने पर साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
7. माता पार्वती: भाद्रपद मास में न सिर्फ भगवान शिव बल्कि माता पार्वती की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. इसी पावन मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली तृतीया तिथि पर महिलाएं माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं. इस पावन तिथि पर देवी पार्वती की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
8. सूर्य देवता: भाद्रपद मास में पंचदेवों में से एक भगवान सूर्य की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में इस पावन मास में प्रतिदिन प्रात:काल विशेष रूप से प्रत्यक्ष देवता सूर्य की पूजा करनी चाहिए। हिंदू मान्यता के अनुसार भाद्रपद मास में सूर्य देवता को अर्घ्य देने से शीघ्र ही उनकी कृपा बरसती है.
9. भगवान विश्वकर्मा: हिंदू मान्यता के अनुसार भाद्रपद में कन्या संक्रांति के दिन भगवान ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 17 सितंबर 2023 को पड़ने जा रही है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने व्यक्ति को भूमि-भवन आदि का सुख प्राप्त होता है.
10. हनुमान: हिंदू मान्यता के अनुसार भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन जेठ मास में पड़ने वाले बुढ़वा मंगल की तरह हनुमान जी की पूजा करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार बुढ़वा मंगल पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करना अत्यधिक पुण्यदायी माना गया है.
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