भोपाल। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी आज सोमवार को आंवला नवमी के रूप में मनाई जा रही है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए पूजा करेंगी। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और वहां बैठकर भोजन करने की भी परम्परा है। माना जाता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी ने भूलोक पर भगवान विष्णु और शिवजी की आंवले के रूप में एक साथ पूजा की और इसी पेड़ के नीचे बैठकर खाना भी खाया था। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा की जाती है उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है। आंवले की पूजा कर भगवान विष्णु से कष्ट निवारण करने की कामना का पर्व अक्षय नवमी धात्री नवमी या आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। हालांकि रविवार को रात्रि 10.32 बजे से इसका मान शुरू हो जाएगा। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करके आंवले के पेड़ का पूजन कर परिक्रमा करना चाहिए।
यह है आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक तैत्य को मारा था। इसी दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग इस दिन मथुरा वृंदावन की परिक्रमा करते है।
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