माता चंद्रघटा की कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय पर दानवों के स्वामी महिषासुर ने इंद्रलोक और स्वर्गलोक में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए देवताओं पर आक्रमण कर दिया था. इसे चारों तरफ हाहाकार मच गया था. काफी दिनों तक देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चला. युद्ध में देवताओं की हारने लगे. खुद को पराजित होते देख सभी देवता मिलकर त्रिमूर्ति यानी त्रिदेव भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे.
माता चंद्रघंटा की पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना और आराधना करनी चाहिए. मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है. मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध के साथ ही धूप और पुष्प अर्पित किए जानते हैं.
मां चंद्रघंटा को भोग: मां चंद्रघंटा को दूध और केसर बनी घी बेहद प्रिय होती है. इसके अलावा दूध से बनी मिठाइयों का भोग भी लगा सकते हैं. माता को फलों में केले का भोग लगाना शुभ होता है. इसे माता चंद्रघंटा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्यक्ति के अटके काम भी बनते चले जाते हैं.
मां चंद्रघंटा के मंत्र: पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।