हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय है । बुधवार (Wednesday) को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है। भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वह भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष और दरिद्रता (impoverishment) को दूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश जी की विशेष पूजा का दिन बुधवार है। कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी की पूजा और कुछ उपाय करने से समस्याएं दूर होती हैं। आइए आपको बताते हैं कि आप घर पर किस तरह से भगवान गणेश की स्थापना कर सकते हैं और उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए।
कैसे करें गणपति की स्थापना
-गणपति की स्थापना दोपहर के समय में की जाती है। मान्यता है कि गणपति का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था।
-गणेश स्थापना के दिन चंद्रमा (Moon) देखना वर्जित है।
-आप चाहे तो बाजार से खरीदकर या अपने हाथ से बनी गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।
-गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान करने के बाद नए या साफ धुले हुए बिना कटे-फटे वस्त्र पहनने चाहिए।
-इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं।
-आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए। साथ ही पत्थर के आसन का इस्तेमाल न करें।
इस तरह करें पूजा
-सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। फिर गणेश जी (Ganesh Ji) का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें। इसके बाद गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। अब गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं। अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला (Garland) अर्पित करें। अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं। अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति (Ganapati) की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें। अब नैवेद्य चढ़ाएं।
नैवेद्य में मोदक (Modak) , मिठाई, गुड़ और फल शामिल करें। इसके बाद गणपति को नारियल (Coconut) और दक्षिणा प्रदान करें। अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है। इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें। अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है। इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें। पूजा (Worship) के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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