नई दिल्ली। सप्ताह का हर वार किसी देवी-देवता को समर्पित है. बुधवार (Wednesday) का दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के छोटे पुत्र गणेश जी (Ganesh ji) का माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सच्ची श्रृद्धा (true faith) से जो गणपति जी की विधिवत आराधना करता है उसके सारे विघ्न, बाधाएं, तमाम तरह के संकट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार का दिन ही क्यों चुना गया और बुधवार (Wednesday) के दिन गणेश जी के सिद्धि विनायक रूप की पूजा से क्या लाभ मिलेंगे.
बुधवार को ऐसे करें सिद्धि विनायक गणेश की पूजा
भगवान गणेश के कई अवतार हैं, जिनमें अष्ट विनायक सबसे ज्याद प्रसिद्ध है. वैसे तो विघ्नहर्ता के हर रूप की पूजा फलदायी है लेकिन बुधवार के दिन सिद्धि विनायक रूप की उपासना मंगलकारी (auspicious) मानी जाती है. सिद्धि विनायक रूप की पूजा से बिगड़े काम बन जाते हैं. सुख-सौभाग्य में कमी नहीं आती.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु(Lord Vishnu) ने सिद्धटेक पर्वत पर विधिवत गणेश जी के सिद्धि विनायक रूप की उपासना की थी. तब जाकर ब्रह्मा जी बिना विघ्न(disturbance) के सृष्टि का निर्माण कर पाए थे.
सिद्धि विनायक, भगवान गणेश का सबसे लोकप्रिय रूप माना जाता है. सिद्धि विनायक की दो पत्नियां है रिद्धि और सिद्धि. सिद्धि विनायक की सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई होती है.
बुधवार के दिन गणपति के सिद्धि विनायक रूप का ध्यान करें और पूजा स्थान पर गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति पर 21 दूर्वा चढ़ाएं.
षोडोपचार से सिद्धि विनिायक का पूजन कर,धूप, दीप जलाकर गणेश चालीसा और गणेश अथर्वशीर्श का पाठ करें. अब भगवान को मूतिचूर के लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें.
बुधवार को ही क्यों की जाती है गणपति की पूजा ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की उत्पत्ति माता पार्वती के उबटन से हुई थी. जब बाल गणेश का जन्म हुआ तब कैलाश पर बुध देव भी मौजूद थे. बुद्धि के देवता बुध को बुधवार का दिन समर्पित है. बुध देव की उपस्थिति के कारण प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा के लिए बुधदेव प्रतिनिधि वार हुए, तब से ही बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा की जाने लगी. बुधवार के दिन गणेश जी की विधिवत उपासना करने से बुध दोष भी शांत होते हैं.
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