नई दिल्ली। तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग के लिए हर वर्ष देश में करीब 22 लाख पेड़ काटे जाते हैं। इनके द्वारा साल भर में उत्पन्न होने वाला कचरा 89,402.13 टन है। यह वजन कागज की 11.9 करोड़ नोटबुक के बराबर है। तंबाकू उत्पादों का प्लास्टिकयुक्त कचरा पर्यावरण के लिए खतरनाक है। जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के अध्ययन में ये बात सामने आई है।
17 राज्यों में तंबाकू उत्पाद और उनसे होने वाले घातक कचरे पर किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि तंबाकू उत्पाद से सालाना 1,70,331 टन कचरा पैदा होता है। यह न केवल उन लोगों के लिए हानिकारक हैं जो उसका सेवन करते हैं बल्कि पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। तंबाकू के सभी प्रकार जैसे सिगरेट, बीड़ी, हुक्का और चबाने वाले तंबाकू-गुटखे बड़े पैमाने पर प्लास्टिक और प्लास्टिकयुक्त कागज का कचरा पैदा करते हैं। प्लास्टिक में कैडमियम और पारा जैसे रसायनों का मिश्रण होता है जो अंतत: कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बनता है।
मनुष्य के शरीर में जाते हैं प्रति वर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण
मनुष्यों के शरीर में प्रति वर्ष 82 हजार प्लास्टिक कण प्रवेश करते हैं जो विविध प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं। चूंकि यह कचरा आमतौर पर खुले अनियंत्रित डंप साइटों, नालों और नदियों में फैंक दिया जाता है, इसलिए यह और भी खतरनाक हो जाता है। द एनवायरनमेंटल बर्डन ऑफ टोबैको प्रोडक्ट्स वेस्टेज इन इंडिया 2023 के अनुसार अध्ययनकर्ताओं ने अध्ययन के लिए तंबाकू उत्पादों के 200 से अधिक ब्रांडों को देखा। इनमें सिगरेट के 70, बीड़ी के 94 और धुंआ रहित तंबाकू के 58 ब्रांड थे।
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