नई दिल्ली। देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में काफी बढ़ोतरी नजर आ रही है। वर्ष 2022 में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने 6,900 मामले दर्ज किए। बढ़ते मामलों को लेकर आयोग बहुत चिंतित है। बीते साल महिलाओं के खिलाफ अपराधों की विभिन्न श्रेणियों में दर्ज 30,900 मामलों में से 23 फीसदी केस घरेलू हिंसा के हैं।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि आयोग को की गई शिकायतों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। कोविड-19 महामारी काल के आंकड़ों पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि महिला अपराध की विभिन्न श्रेणियों में कुल शिकायतों की संख्या 2020 में लगभग 23,700 थी। यह 2021 में 30 फीसदी बढ़कर 30,800 से अधिक हो गई।
हालांकि, 2022 में घरेलू हिंसा के मामलों में मामूली बढ़ोतरी दर्ज हुई। बीते साल से 30,900 हो गए। पिछले साल भी अधिकतम शिकायतें तीन श्रेणियों में दर्ज की गई हैं। इनमें इज्जत के साथ जीने का अधिकार सुरक्षित करने के 31 फीसदी, घरेलू हिंसा के 23 फीसदी और दहेज व विवाहिताओं के उत्पीड़न के 15 फीसदी मामले शामिल हैं।
शिकायतों में सर्वाधिक 55 फीसदी यूपी की, दिल्ली दूसरे नंबर पर
वर्ष 2022 में कुल शिकायतों में से 55 फीसदी यूपी से मिलीं। बाद दिल्ली (10%) और महाराष्ट्र की (5%) थीं। 2021 में भी इन्हीं तीन राज्यों से सबसे ज्यादा शिकायतें महिला आयोग को मिली थीं।
जनसुनवाई व हेल्पलाइन के कारण बढ़ी शिकायतों की संख्या
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि शिकायतों की संख्या बढ़ने की वजह जन सुनवाई के कारण महिलाओं तक संगठन की पहुंच बढ़ना और 24 घंटे की हेल्पलाइन है। आयोग मिलने वाली शिकायतों के समयबद्ध ढंग से निराकरण व कार्रवाई की पहल करता है। आयोग के मौजूदा शिकायत प्रकोष्ठ के अलावा, घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को रिपोर्ट करने और सहायता लेने के लिए जुलाई 2021 में 24×7 हेल्पलाइन 7827170170 सेवा शुरू की गई है।
घरेलू हिंसा रोकने के लिए यह जरूरी
शर्मा का कहना है कि महिला आयोग सोशल मीडिया व अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं को आगे आने, बोलने और अपनी चिंताओं को साझा करने का संदेश देने की कोशिश कर रहा है। इस कारण महिलाएं एनसीडब्ल्यू के ऑनलाइन शिकायत तंत्र का उपयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने, रूढ़िवादिता का विरोध, पितृ प्रधान मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। एनसीडब्ल्यू शिकायतों को हल करने के अलावा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करता है। जागरूकता पैदा करने के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
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