वाशिंगटन। आज वैश्विक समस्या ग्लोबल वार्मिंग (global problem global warming) से जूझ रही है। यही कारण है कि दुनिया भर में बर्फ पिघल रही है। अब इस बर्फ के नीचे खजाने की खोज हो रही है। दुनिया के कुछ अरबपति व्यक्ति ग्रीनलैंड के पश्चिमी तट (West Coast of Greenland) पर बड़े पैमाने पर खजाना खोजने के लिए पैसे को पानी की तरह बहा रहे हैं। यहां तक कि हेलीकॉप्टर में कई तरह की मशीनें लगा कर खजाना खोजा जा रहा है। ग्रीनलैंड की पिघलती हुई बर्फ निवेशकों और खनन कंपनियों के लिए बेहतरीन मौका दे रही है। ग्रीनलैंड में ग्रीन एनर्जी को शक्ति देने वाले महत्वपूर्ण खनिजों की खोज हो रही है।
आपको बता दें कि कैलिफोर्निया की धातु कंपनी कोबोल्ड के सीईओ कुर्त हाउस ने कहा-अमेजन के मालिक जेफ बेजोस, माइक्रोसॉफ्ट संस्थापक बिल गेट्स और उद्योगपति माइकल ब्लूमबर्ग ने करोड़ों का निवेश किया।
ग्लेशियर में 30 भूगर्भ वैज्ञानिक आदि की टीम बेशकीमती धातु तलाश रही हैं। ग्लेशियर में निकल-कोबाल्ट का सबसे बड़ा भंडार मिल सकता है। कोबोल्ड और खनन कंपनी ब्लूजे भी अभियान सफल बनाने में जुटी है।
किलोमीटर लंबा, 11 सौ किलोमीटर चौड़ा है
नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर के अनुसार, ग्रीनलैंड में अप्रैल से 25 जुलाई के बीच रोजाना 14 लाख वर्ग किलोमीटर बर्फ पिघली है। 44 साल में 19वीं बार ऐसा दृश्य दिखा है। 15 से 17 जुलाई के बीच पिघलते ग्लेशियर से 600 करोड़ लीटर पानी हर दिन निकला है।
ग्रीनलैंड बड़ा भंडार
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क के अनुसार ग्रीनलैंड के नीचे कोयले, तांबे और सोने का भी बड़ा भंडार हो सकता है। इसके अलावा बड़ी मात्रा में जिंक भी मिल सकता है।
अभी हो रही हैं सैंपलिंग
धातु का पता लगाने के लिए मिट्टी के नमूने लिए जा रहे हैं। ड्रोन को ट्रांसमीटर से उड़ाया जा रहा है ताकि विद्युत चुंबकीय क्षेत्र का पता लगे।
बदल सकती है ईवी की दुनिया
ग्रीनलैंड में कोबाल्ट का भंडार मिलने से इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया बदल सकती है। इसमें इस्तेमाल हो रही लिथियम बैटरी को बनाने के लिए कोबाल्ट की जरूरत होती है। कोबाल्ट का भंडार मिलने पर इस क्षेत्र में और तेजी आएगी।
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