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    दुनिया की सबसे पुरानी गुफा पेंटिंग

    February 25, 2021

    – रंजना मिश्रा

    हाल ही में पुरातत्ववेत्ताओं के एक दल ने दुनिया की सबसे पुरानी गुफा पेंटिंग की खोज की है। अनुमान लगाया जाता है कि ये पेंटिंग करीब 45 हजार वर्ष पुरानी है। इस पेंटिंग में एक जंगली सुअर का चित्रण है, जो इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में पाया जाता था और ये पेंटिंग भी सुलावेसी द्वीप में ही मिली है। इससे इंडोनेशिया के दक्षिण सुलावेसी द्वीप में आधुनिक मनुष्य के निवास के प्राचीन पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

    सुलावेसी द्वीप समूह इंडोनेशिया का महत्वपूर्ण द्वीप है। इस द्वीप समूह में दक्षिण सुलावेसी, दक्षिण पूर्वी सुलावेसी, मध्य सुलावेसी और उत्तरी सुलावेसी द्वीप शामिल हैं। यह सुलावेसी द्वीप एक मध्य इंडोनेशियाई द्वीप है, जो करीब 1 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र में फैला हुआ है। ये द्वीप एशिया महाद्वीप और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के बीच स्थित है। सुलावेसी द्वीप प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। इस द्वीप पर मानव के रहने के कई ऐतिहासिक प्रमाण पाए गए हैं। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार सुलावेसी द्वीप में मिली जंगली सुअर की पेंटिंग शायद दुनिया की ऐसी सबसे पुरानी पेंटिंग है, जिसमें किसी जंगली जानवर को चित्रित किया गया है।

    खोजी दल को लियांग तदोंगेग़ की एक चूना पत्थर की गुफा में ये पेंटिंग मिली, जब वो इस इलाके में शोध कर रहे थे। साढ़े 4 मीटर चौड़े इस दुर्लभ भित्ति चित्र (वॉल पेंटिंग) को गुफा की दीवार पर बनाया गया है, इस भित्ति चित्र को लाल गेरुए रंग से बनाया गया है। इस भित्ति चित्र में जंगली सुअर किसी लड़ाई को देखते हुए या किसी दूसरे जंगली सूअर से परस्पर मिलते-जुलते दिखाई दे रहा है, सुअर के बालों की एक छोटी सी कलगी दिखती है और आंखों के आसपास सींग की तरह उभरी आकृति दिखती है। इस भित्ति चित्र से जुड़े शोध को हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस चित्र में इंसानों को सुअरों का शिकार करते हुए दिखाया गया है, जिससे यह पता चलता है कि उस वक्त इंसान जंगली सुअरों को खाने में इस्तेमाल करता रहा होगा। सुअरों की सबसे अधिक कलाकृतियां अबतक पाई गई हैं। पाषाण काल में आहार के अलावा सुअर मनुष्य की रचनात्मकता को भी दिशा देते रहे हैं। हजारों वर्ष पूर्व ही जंगली सुअरों की ये प्रजाति धरती से पूरी तरह से लुप्त हो गई थी।

    जंगली सुअर के चित्र वाली यह गुफा, चूना पत्थर की खड़ी चट्टानों से घिरी घाटी में स्थित है। बरसात के मौसम में गुफा में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है, इस कारण गुफा में शुष्क मौसम में ही एक संकरे रास्ते से पहुंचा जा सकता है। घाटी वाले क्षेत्र में रहने वाले बुर्गा समुदाय के लोगों को भी इस गुफा की जानकारी नहीं थी।

    सुलावेसी में पाए गए सबसे पुराने भित्ति चित्रों का उल्लेख, वर्ष 2018 में ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय द्वारा छापी गई किताब ‘आर्कियोलॉजी ऑफ सुलावेसी’ में मिलता है। इसके अलावा इस किताब में इस द्वीप पर इंसानों की मौजूदगी के सबसे पुराने प्रमाण भी मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि आज का मानव और लुप्त हो गई मानव प्रजातियां, इन्हीं मानवों के वंशज हैं, इन्हें विज्ञान की भाषा में होमिनिन नाम से जाना जाता है। होमो सपीएन या आधुनिक मानव आज से लगभग 2 से 3 लाख साल पहले इन्हीं मानव प्रजातियों से आए थे। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आधुनिक मानव ने सुलावेसी द्वीप पर कब रहना शुरू किया? गुफा में भित्ति चित्रों के अलावा ऐसी कई बातें देखी गईं, जिनका जिक्र शोधकर्ताओं ने साइंस एडवांसेज नाम की विज्ञान पत्रिका में किया है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार सुलावेसी में इन गुफा चित्रों के अलावा इंसानी बस्ती का कोई और प्रमाण मौजूद नहीं है। वर्ष 2019 में सुलावेसी द्वीप पर ही पाया जाने वाला एक सुअर और भैंस का शिकार करने वाला भित्ति चित्र दुनिया का सबसे पुराना भित्ति चित्र बन गया था। इसकी खोज भी पुरातत्ववेत्ताओं के इसी दल ने की थी, इससे पहले यूरोपीय क्षेत्रों में पाए गए भित्ति चित्रों को सबसे पुराना भित्ति चित्र होने का दर्जा मिला था। इनकी उम्र लगभग 14 हजार से 21 हजार साल पुरानी बताई जाती थी। इन खोजों को नेचर नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया था और साइंस पत्रिका द्वारा इसे वर्ष 2020 की शीर्ष 10 वैज्ञानिक खोजों में शुमार किया गया था।

    किसी चट्टान पर मिली कलाकृति की आयु का पता लगाना बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, इस भित्ति चित्र की आयु का पता लगाने के लिए पुरातत्ववेत्ताओं ने यू सीरीज आइसोटॉप विश्लेषण का सहारा लिया था, इस तकनीक में गुफा की दीवारों पर प्राकृतिक रूप से जमे कैलशियम कार्बोनेट की मदद से आयु का पता लगाया जाता है।

    (लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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