नई दिल्ली: भारत सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए दरवाजे खोल रही है. इस बात का खुलासा यूजीसी के नए ड्राफ्ट रेगुलेशन (UGC Foreign University Bill) के सामने आते ही हो चुका है. यूजीसी गुरुवार 5 जनवरी 2023 को फॉरेन यूनिवर्सिटी बिल आम जनता के सामने लेकर आया. ये बिल कुछ शर्तों के साथ दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज का कैंपस भारत में खोलने की मंजूरी देता है. इन्हें शुरुआत में 10 साल के लिए कैंपस खोलने की अनुमति मिलेगी और कोर्स सिर्फ ऑफलाइन चलाने होंगे. सवाल है कि सरकार के इस कदम से देश और स्टूडेंट्स को क्या फायदा होगा? जानिए.
यूजीसी ने इस बिल का ड्राफ्ट सबके सामने रखा है और लोगों से उनकी राय मांगी है. सदन में पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा. फिर उस कानून के नियमों के तहत अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, चीन की टॉप यूनिवर्सिटी भारत में अपने कैंपस खोल सकेगी. सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से World’s Top Universities जैसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, Yale University, Oxford University, Stanford University.. जैसे संस्थान भी भारत आएंगे.
विदेशी यूनिवर्सिटी भारत आने के फायदे
फायदे कई हैं. लेकिन अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो भारत में दुनिया की Top Universities के कैंपस होने से देश को सीधे-सीधे 6 बड़े फायदे होने वाले हैं-
- यूनिवर्सिटी के मेन कैंपस की तुलना में भारत में उनकी पढ़ाई थोड़ी सस्ती होगी. हालांकि यूजीसी के ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि फीस स्ट्रक्चर निर्धारित करने की छूट यूनिवर्सिटी के पास रहेगी. लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन की तुलना में भारत में फीस कम रहने की पूरी संभावना है.
- भारत में ऐसे लाखों युवा हैं जिनके पास टैलेंट है, मेरिट है, लेकिन विदेश जाने और रहने के मोटे खर्च के कारण उन्हें सुनहरे मौके गंवाने पड़ जाते हैं. उन्हीं संस्थानों का कैंपस जब भारत में होगा, तो ये समस्या खत्म हो जाएगी. यानी मोटी बचत और ज्यादा टैलेंट को मौका.
- कैंपस भारत में होंगे तो वहां काम करने के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की भी जरूरत होगी. ये भारत के टीचर्स और यंग ग्रजुएट्स के लिए नौकरियों के ढेरों नए अवसर लेकर आएगा.
- भारतीय छात्रों के अलावा दूसरे देशों से भी छात्र इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने भारत आएंगे. खासकर एशियाई देशों से. यानी भारत में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ेगी, जो किसी देश के एजुकेशन सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एक जरूरी मानक है. इससे सरकार को भी रिवेन्यू मिलेगा.
- भारत में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रिसर्च वर्क बढ़ेंगे, इंटर-कल्चरल एक्सचेंज बढ़ेगा.. जो वैश्विक स्तर पर किसी संस्थान को रैंकिंग देने के अहम पैरामीटर हैं. तो जाहिर है कि ग्लोबल लेवल पर एजुकेशन के मामले में भारत की रैंकिंग सुधरेगी.
- जब दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालय देश में होंगे तो यहां की यूनिवर्सिटीज के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा भी होगी. ये एक हेल्दी कंपटिशन साबित हो सकता है जो भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज को और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करेगा.