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    World wildlife day : कलाकारों ने बताया wildlife संरक्षण के महत्व को

  • March 03, 2022

    हर साल, जंगली जीवों और वनस्पतियों के सुंदर और विविध रूपों का जश्न मनाने और लोगों को उनके संरक्षण से मिलने वाले फायदों के बारे में बताने के लिये, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे (World wildlife day) मनाया जाता है। इस साल का विषय है- “पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिये प्रमुख प्रजातियों को फिर से बहाल करना। (Recovering Key Specs for Ecosystem Restoration)“ एण्डटीवी के कलाकारों ने वन्यजीवों (wildlife) से अपनी मुलाकात और वन्यजीवों का संरक्षण क्यों जरूरी है, उसके बारे में बताया। इन कलाकारों में विदिशा श्रीवास्तव (अनिता भाबी, ‘भाबीजी घर पर है‘), सिद्धार्थ अरोड़ा (महादेव, ‘बाल शिव‘), अकांशा शर्मा (सकीना मिर्जा, ‘और भई क्या चल रहा है?‘) और हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘) शामिल हैं।



    जल्द ही एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में नई अनिता भाबी के रूप में एंट्री करने वाली विदिशा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘मुझे प्रकृति से प्यार है और ट्रैकिंग मेरी हॉबी है। जब कभी भी मैं शूटिंग नहीं कर रही होती हूं, मैं इस बात का ध्यान रखती हूं कि मैं प्रकृति मां और खुले आसमान के बीच ट्रिप पर जा सकूं। मुझे जंगलों में टेंट्स में रहना पसंद है। मुझे नदी में नहाना अच्छा लगता है और चिड़ियों के चहचहाने की आवाज मेरा मूड अच्छा कर देती है। एक बार मैं महाराष्ट्र के वाडा के जंगलों में वाइडलाइफ कैम्पिंग के लिये गई थी और मैंने वहां अपने हाथों से सांप को पकड़ा था। वहां मेरे साथ अनुभवी लोग थे, लेकिन उस खूबसूरत रेंगने वाले जीव को अपने हाथ में पकड़ना, कमाल का अनुभव था। उसके बाद तो जैसे मुझे सांपों से प्यार ही हो गया था और मुझे उनसे डर नहीं लगता। उसी रात मैंने एक पेड़ को पूरी तरह से जुगनुओं से भरा हुआ देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे सितारे जमीं पर उतर आये हैं और वह मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत नजारा था। वन्यजीवों का संरक्षण पौधों और जानवरों की प्रजातियों और उनके रहने के ठिकाने को बचाना है। वाइल्डलाइफ प्राकृतिक प्रक्रिया को संतुलन और स्थायित्व देता है। वाइल्डलाइफ का संरक्षण इन प्रजातियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है और लोगों को अन्य प्रजातियों के साथ स्थाई रूप से रहना सिखाता है।‘‘

    एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ के सिद्धार्थ अरोड़ा (महादेव) कहते हैं, “मैं वाइल्डलाइफ प्रेमी हूं और मुझे वाइल्डलाइफ सैंचुरीज में जाना पसंद है, खासकर टाइगर सैंचुरी में। मैं हमेशा बाघों पर फिदा रहा हूं। मैं मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और कान्हा टाइगर रिजर्व में जाता रहता हूं। मैंने वहां कुछ अद्भुत अनुभव किए। मैंने बाघ, हिरण और तेंदुआ देखा। लेकिन कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में मुझे ऐसा अनुभव मिला, जो ताउम्र याद रहेगा। मैं कुछ दोस्तों के साथ एक रात की सफारी पर गया था और वह जंगल के बीच में था जहां रोशनी का एकमात्र स्रोत लालटेन था जिसे हम ले जा रहे थे। वहां इतना अंधेरा था कि हम एक-दूसरे के चेहरे भी नहीं देख पा रहे थे और वहां केवल पक्षियों और जानवरों की आवाजें ही सुनाई दे रही थीं। अनुभव अद्भुत था – वह सिर्फ मेरे और प्रकृति के बीच का रिश्ता था। इसके अलावा, एक बार बांधवगढ़ जंगल में अपने ट्रायल के दौरान, मैंने एक बाघ को देखा जिसका नाम ’भीम’ था। वह उस सैंचुरी में सबसे बड़ा बाघ था और वह आराम कर रहा था लेकिन जैसे ही वह उठा और चलना शुरू किया, पूरे जंगल में भगदड़ मच गई। जानवर शोर मचाने लगे जैसे वे एक दूसरे को बता रहे हों कि वह आ गया है। यह एक ऐसा नजारा था जिसे मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। पूरा माहौल बड़ा ही खूबसूरत था और हमारे साथ मौजूद गाइड ने बताया कि कैसे इन वाइल्डलाइफ जानवरों के कुछ नियम हैं और वे एक-दूसरे पर निर्भरता के जरिये एक दूसरे की मदद करते हैं, जो वास्तव में मेरे दिल को छू गया। मुझे खुशी है कि ऐसे दिन मनाए जाते हैं और लोगों में जागरूकता पैदा होती है। वाइल्डलाइफ केवल जंगली जानवर नहीं हैं, बल्कि कीड़े, पौधे, पक्षी, कवक जैसे गैर-घरेलू जीव भी हैं। एक स्वस्थ पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिये, इनकी रक्षा और संरक्षण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक जीव पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य श्रृंखला में योगदान देता है।‘‘

    अकांशा शर्मा (सकीना मिर्जा) एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?‘ का कहना है, ‘‘वाइल्डलाइफ एडवेंचर केवल परिवारवालों और दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने का सबसे बेहतर विकल्प नहीं, बल्कि खुद को जानने और प्यार करने के लिए भागने का सबसे बेहतर प्लान है। मुझे आज भी याद है, कॉलेज के दिनों में ट्रैकिंग और जंगल सफारी करते हुए मैं हवाओं के साथ-साथ गा रही थी और पहाड़ियों के साथ-साथ चल रही थी। वाह! वह एहसास अद्भुत और खूबसूरत है। मुझे याद है कि मध्यप्रदेश के पेंच नेशनल पार्क में लंबे इंतजार के बाद जब बाघ दिखा तो हमारे चेहरे खिल गये थे। यह वह समय था जब बाघ लुप्त होने की कगार पर थे। आज मैं सरकार की कई सारी स्कीम और योजनाओं की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने हमारी वनस्पति और जीवों को बचाने में मदद की। वाइल्डलाइफ को संरक्षित करने का मतलब है उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना, जोकि मेडिकल से जुड़ी रिसर्च के लिये बेहद जरूरी है। दिलचस्प बात ये है कि कीड़े-मकोड़े, पक्षी, तितलियों और मधुमक्खियों जैसे छोटे-छोटे जीव फूड प्रोडक्शन में अहम भूमिका निभाते हैं और इस प्रकार पोलिनेशन में मदद करते हैं।‘‘
    एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के योगेश त्रिपाठी (हप्पू सिंह), का कहना है, ‘‘मेरे बेटे को जानवरों से बहुत प्यार है। उसे वाइल्डलाइफ चैनल देखना पसंद है और जब भी वाइल्डलाइफ जानवरों पर कोई डॉक्यूमेंटरी देखता है तो बहुत खुश हो जाता है। उसके पास पूछने के लिये काफी सारे सवाल होते हैं। इन चीजों को लेकर उसकी उत्सुकता और जिज्ञासा देखकर, मैंने सोचा है कि भारत के अपने अगले ट्रिप में उसे वाइल्डलाइफ सैंचुरी लेकर जाऊंगा। उसे शेर देखना बहुत पसंद है, तो हो सकता है हम गुजरात के गिर फॉरेस्ट में जायें। वन्यजीवों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने के लिये हमारे वन्य जीवन को संरक्षित करना जरूरी है। साथ ही, वन्यजीवों के संरक्षण के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, प्राकृतिक वातावरण में रहने वाली इन अद्भुत प्रजातियों का आनंद ले सकें।‘‘

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