– योगेश कुमार गोयल
दशकों से दुनिया में धूम्रपान के दुष्प्रभाव पर अध्ययन हो रहा है। धूम्रपान हर लिहाज से हानिकारक है, यह सभी का निचोड़ है। बावजूद इसके लोग सचेत नहीं हो रहे। किशोर तक इसकी गिरफ्त में हैं। स्थिति लगातार विस्फोटक हो रही है। हम हर वर्ष 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर समारोह, गोष्ठी और विभिन्न कार्यक्रमों में धूम्रपान न करने की प्रतिज्ञा कर अगले दिन सब भूल जाते हैं।
दरअसल इसके लिए जनमानस के एक हिस्से में घर कर चुकी धारणाएं बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। सच बात तो यह है कि धूम्रपान करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आने, मानसिक तनाव कम होने और कब्ज की शिकायत दूर होने जैसी धारणाएं मनगढ़ंत हैं। वास्तविकता यही है कि धूम्रपान धीमा जहर है। इसके सेवन से प्राणघातक बीमारियां जन्म लेती हैं। ऐसे व्यक्ति धीमी गति से मृत्यु शैया तक पहुंच जाते हैं।
तमाम जद्दोजहद के बाद धूम्रपान के विज्ञापन तो बंद हो चुके हैं पर नशे का यह उद्योग खूब फल-फूल रहा है। लोग सालभर में सात हजार करोड़ रुपये मूल्य से अधिक की सिगरेट फूंक देते हैं। और इनका धुआं वातावरण में जहर बनकर घुल जाता है। इस खतरनाक धुआं से करीब 50 टन तांबा, 15 टन शीशा, 11 टन कैडमियम तथा कई अन्य खतरनाक रसायन वातावरण में मिल हैं। भारत में प्रतिवर्ष 100 अरब रुपये मूल्य से भी अधिक की बीड़ी का सेवन किया जाता है। भारत के संदर्भ में एक सरकारी अध्ययन के मुताबिक तम्बाकू सेवन से होने वाली बीमारियों के इलाज पर सालभर में करीब 1.04 लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में धूम्रपान के कारण 2019 में 77 लाख लोगों की मौत हुई। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में होने वाली मौतों में से हर पांच में से एक पुरुष की मौत धूम्रपान के कारण हो रही है। विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार विकसित देशों में चालीस फीसदी से ज्यादा पुरुष और इक्कीस फीसदी से ज्यादा स्त्रियां धूम्रपान करती हैं। विकासशील देशों में सिर्फ आठ फीसदी स्त्रियों को इसकी लत है। पुरुषों की संख्या पचास फीसदी से अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तम्बाकू के सेवन के कारण प्रतिदिन करीब आठ हजार व्यक्ति फेफड़ों के कैंसर के शिकार होकर मर जाते हैं। संगठन का अनुमान है कि यदि दुनियाभर में धूम्रपान की लत बढ़ती रही तो यह संख्या लाखों में पहुंच सकती है।अगले तीस वर्षों में केवल गरीब देशों में धूम्रपान से मरने वालों की संख्या दस लाख से बढ़कर सत्तर लाख तक पहुंच जाएगी। संगठन का अनुमान है कि प्रतिवर्ष विश्वभर में आठ हजार से ज्यादा नवजात शिशु धूम्रपान की वजह से असमय काल के ग्रास बन जाते हैं। सभी प्रकार के कैंसर में से करीब 40 फीसदी का कारण धूम्रपान होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कैंसर, हृदय रोग, सांस की बीमारी, डायबिटीज इत्यादि से पीड़ित लोगों के लिए धूम्रपान काफी खतरनाक हो सकता है। ऐसे व्यक्ति को धूम्रपान से बचना चाहिए।
सिगरेट के धुएं में पोलिनियम 210, कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड, निकल, पाईरीडिन, बेंजीपाइरीन, नाइट्रोजन आइसोप्रेनावाइड, अम्ल, क्षार, निकोटीन, टार, जिंक, हाइड्रोजन साइनाइड, कैडमियम, ग्लायकोलिक एसिड, सक्सीनिक एसिड, एसीटिक एसिड, फार्मिक एसिड, मिथाइल क्लोराइड इत्यादि चार हजार से भी ज्यादा घातक रासायनिक तत्व विद्यमान होते हैं। यह मानव शरीर को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाते हैं। गर्भवती महिलाओं के धूम्रपान करने से कम लम्बाई और कम वजन के बच्चों का जन्म, बच्चों में अपंगता तथा बाल्यावस्था में ही घातक हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। प्रतिदिन बीस सिगरेट तक पीने वाली गर्भवती महिला के बच्चे की मृत्यु होने की संभावना सामान्य के मुकाबले बीस फीसदी बढ़ जाती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक किसी दूसरे के धूम्रपान के धुएं के प्रभाव से दिल के दौरे से होने वाली मौतों की आशंका तीस फीसदी बढ़ जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के फायदे ही फायदे हैं। धूम्रपान छोड़ने के सिर्फ बीस मिनट के अंदर उच्च रक्तचाप में गिरावट आती है तथा 12 घंटे बाद रक्त में कार्बन मोनोक्साइड के विषैले कणों का स्तर सामान्य हो जाता है। दो से बारह सप्ताह में फेफड़ों की कार्यक्षमता में तेजी से वृद्धि होती है तथा एक से नौ माह में खांसी तथा श्वसन संबंधी समस्याएं कम हो जाती हैं। मनुष्य के फेफड़ों में जादुई क्षमता होती है। अगर व्यक्ति धूम्रपान छोड़ दे तो चालीस फीसदी कोशिकाएं ऐसे लोगों की तरह ही हो जाती हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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