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    World Diabetes Day: हर 100 में से 11 भारतीय डायबिटीज से पीड़ित

  • November 14, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। हर 100 में से 11 भारतीयों (11 out of every 100 Indians) को डायबिटीज (Diabetes) (मधुमेह) है…गांवों में रहने वाले 100 में से 9 तो शहरों में 16 लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, भारतीयों में कम मोटापे (less obesity in indians) के बावजूद डायबिटीज ज्यादा (diabetes more) मिल रही है। ओजीटीटी व एचए1सी (OGTT and HA1C) की एकसाथ जांच में ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित मिले। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) (Indian Council of Medical Research (ICMR)) ने इसी साल जून में जब अपनी रिपोर्ट में टाइप 2 डायबिटीज पर यह दावे किए तो सभी हैरान रह गए।

    आईसीएमआर की रिपोर्ट में ग्रामीण नागरिकों में डायबिटीज की इतनी ज्यादा मौजूदगी चिंता बढ़ाती है। क्योंकि यहां इन मरीजों की देखभाल के लिए संसाधन कम हैं। आज विश्व डायबिटीज दिवस पर दुनिया को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही इस बीमारी पर आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य प्रमुख एजेंसियों की ओर से दी गई रिपोर्टों के आधार पर यह विश्लेषण तैयार किया।


    क्या है डायबिटीज
    डायबिटीज मुख्यत टाइप 1 और टाइप 2 में बांटी गई है। टाइप 1 में बचपन से इंसुलिन पैदा करने की कमी होती है, ऐसे मरीजों को रोजाना इंसुलिन लेनी होती है। 2017 में दुनिया के 90 लाख लोग इससे पीड़ित माने गए। इसकी वजह ज्ञात नहीं है, इसलिए बचाव के साधन भी नहीं है। बड़ी समस्या टाइप 2 डायबिटीज से है, जिसके विश्व में करीब 45 करोड़ और अकेले भारत में 11 करोड़ के करीब मरीज होने का अनुमान है। इस रोग में मरीज के शरीर में शुगर या कहें ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने की क्षमता बेहद कमजोर हो जाती है। यह काम अंजाम देने वाले इंसुलिन नामक तत्व का शरीर सही उपयोग नहीं कर पाता। परिणाम, रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। यह सभी आंकड़े केवल ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) के हैं, यानी हमारे शरीर में शुगर रक्त से मांसपेशियों व वसा में कैसे जाती है, उसकी जांच के आधार पर।

    जब आईसीएमआर ने दूसरी जांच की-हीमोग्लोबिन ए1सी यानी पिछले दो-तीन महीनों के औसत शुगर लेवल के अनुसार डायबिटीज है या नहीं… मापने पर पता चला कि 13.3 प्रतिशत भारतीयों को डायबिटीज है। इसी रिपोर्ट में जब ओजीटीटी व हीमोग्लोबिन ए1सी दोनों के कॉम्बिनेशन से साथ में जांच हुई तो 21.1 प्रतिशत यानी कहीं अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित मिले।

    इसी प्रकार वे मामले, ­जिनमें फिलहाल डायबिटीज नहीं है, लेकिन जरा सी असावधानी से आने वाले समय में डायबिटीज हो सकती है, उन्हें प्री-डायबिटीज चरण में रखा जाता है। इनकी संख्या कुल आबादी में 15.3 प्रतिशत है। देश के 15 प्रतिशत पुरुष तो 15.5 प्रतिशत महिलाओं इस वर्ग में आती हैं। इस मामले में शहर व गांव के बीच भी बड़ा अंतर नहीं है, शहर में 15.4 और गांवों में 15.2 प्रतिशत लोग प्री-डायबेटिक हैं।

    किन्हें हो सकती है?
    डब्ल्यूएचओ के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से अधिक होने पर डायबिटीज की आशंका बढ़ती है। बीएमआई यानी व्यक्ति के वजन को उसकी ऊंचाई के वर्ग से गुणा कर निकाली गई संख्या। चिकित्सक इसे 25 के स्तर से नीचे रखने की सलाह देते हैं। पुरुषों को कमर का आकार 90 सेमी से कम व महिलाओं को 80 सेमी से कम रखने के लिए भी कहा जाता है।

    ऐसे करें बचाव
    रोजाना 15 से 30 मिनट तक नियमित हल्का व मध्यम व्यायाम करना चाहिए।
    खाने पर नियंत्रण भी रहना चाहिए। प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, खनिज आदि से युक्त संतुलित आहार लेने से डायबिटीज ही नहीं, कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। वजन पर नियंत्रण असली लक्ष्य होना चाहिए।

    केंद्र सरकार ने आईसीएमआर की रिपोर्ट के बाद बताया कि 30 साल से अधिक उम्र के लोगों की डायबिटीज और इससे जुड़े हाइपरटेंशन व सामान्य कैंसर की स्क्रीनिंग देशभर में शुरू की गई है।

    कैसे अनुमान लगाएं कि डायबिटीज है?
    बहुत ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, नजर में धुंधलापन होना, थकान महसूस होना, अकारण वजन कम होना। हालांकि यह लक्षण सामान्य हैं, इसलिए कई बार रोग को समझने में मरीज को ज्यादा समय लग जाता है।

    लक्षण हैं तो क्या करें?
    – सबसे पहले जांच करवाएं। टाइप 2 डायबिटीज की जांच जितना जल्द होगी, रोग का शरीर पर दुष्प्रभाव उतनी ही जल्दी कम किया जा सकेगा।
    – चिकित्सकों द्वारा बताई दवाएं समय से लें। नियमित व्यायाम व संतुलित भोजन को जीवन का अहम हिस्सा बनाएं।

    नुकसान क्या हो सकते हैं?
    – खून में शुगर बढ़ने से हमारे अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचता है।
    – हृदय की धमनियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। आंखों व किडनी को भी नुकसान।
    – परिणाम, डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल होने और आंखों को गंवाने का ज्यादा जोखिम होता है। इनकी वजह से मौत हो सकती है।
    – कई लोगों की नर्व में क्षति व रक्त प्रवाह में बाधा आती है जो पैरों को नुकसान पहुंचाती है।

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