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विश्व बैंक ने कहा- रेस्तरां, बार, शॉपिंग मॉल खोलने और स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं

January 17, 2022

नई दिल्ली । विश्व बैंक (World Bank) के वैश्विक शिक्षा निदेशक (Global education director) जैमे सावेद्रा (Jaime Saavedra) के अनुसार महामारी को देखते हुए स्कूलों को बंद (Schools Closed) रखने का अब कोई औचित्य नहीं है और भले ही नयी लहरें आएं स्कूलों को (Education Sector) बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए. सावेद्रा की टीम शिक्षा क्षेत्र पर कोविड-19 (Covid-19) के प्रभाव पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि स्कूलों को फिर से खोलने से कोरोना वायरस (Corona Virus) के मामलों में वृद्धि हुई है और स्कूल “सुरक्षित स्थान” नहीं हैं. सावेद्रा ने कहा कि लोक नीति के नजरिए से बच्चों के टीकाकरण तक इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है.

वॉशिंगटन से सावेद्रा ने कहा, “स्कूल खोलने और कोरोना वायरस के प्रसार के बीच कोई संबंध नहीं है. दोनों को जोड़ने का कोई सबूत नहीं है और अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. भले ही कोविड-19 की नयी लहरें आएं, स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय ही होना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “रेस्तरां, बार और शॉपिंग मॉल को खुला रखने और स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है. कोई बहाना नहीं हो सकता.” विश्व बैंक के विभिन्न अध्ययन के अनुसार, अगर स्कूल खोले जाते हैं तो बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम होता है और बंद होने की लागत बहुत अधिक होती है.



उन्होंने कहा, “2020 के दौरान हम नासमझी में कदम उठा रहे थे. हमें अभी भी यह नहीं पता कि महामारी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका क्या है और दुनिया के अधिकतर देशों में तत्काल स्कूलों को बंद करने के कदम उठाए गए. तब से काफी समय बीत चुका है और 2020 और 2021 से कई लहरें आ चुकी हैं और ऐसे कई देश हैं, जिन्होंने स्कूल खोले हैं.”

सावेद्रा ने कहा, “हम यह देखने में सक्षम हैं कि क्या स्कूलों के खुलने से वायरस के प्रसार पर प्रभाव पड़ा है और नए डेटा से पता चलता है कि ऐसा नहीं होता है. कई जगहों पर लहरें तब आई हैं, जब स्कूल बंद थे तो जाहिर है कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि के पीछे स्कूलों की कोई भूमिका नहीं रही है.” उन्होंने कहा, “भले ही बच्चे संक्रमित हो सकते हैं और ओमिक्रॉन से यह और भी अधिक हो रहा है, लेकिन बच्चों में मृत्यु और गंभीर बीमारी अत्यंत दुर्लभ है. बच्चों के लिए जोखिम कम हैं और लागत बहुत अधिक है.”

बच्चों का अब तक टीकाकरण नहीं होने की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “ऐसा कोई देश नहीं है जिसने बच्चों के टीकाकरण के बाद ही स्कूलों को फिर से खोलने की शर्त रखी हो. क्योंकि इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है और लोक नीति के नजरिए से इसका कोई मतलब नहीं है.” भारत में महामारी के कारण स्कूल बंद होने के प्रभाव के बारे में बात करते हुए सावेद्रा ने कहा कि “प्रभाव पहले की तुलना में अधिक गंभीर है” और पठन-पाठन के नुकसान का अनुमान कहीं ज्यादा रहने की आशंका है.

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